भारत में बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हिस्से कोयले की खदाने और एयरपोर्ट आते हैं, सरकारी मदद आती है, लेकिन किसानों के हिस्से आता है लोन वसूली का नोटिस। विजय माल्या-नीरव मोदी जैसे घोटालेबाज़ देश छोड़ कर भाग जाते हैं, लेकिन किसानों के परिवारों से उनकी आत्महत्या के बाद भी क़र्ज़ वसूला जाता है। हद तो तब हो जाती है जब किसानों से वो क़र्ज़ भी वसूला जाता है जो उन्होनें कभी लिया ही नहीं।

TOI के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के एक जिले में 63 किसानों के पास आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (APGVB) से उस कृषि लोन को चुकाने का नोटिस आया है जो उन्होंने कभी लिया ही नहीं था।

आरोप है कि इन किसानों की जानकारी के बिना इन्हें 2014 से 2017 के बीच लोन दिया गया था। 63 में से 25 किसानों के पास तो लोन लेने के लिए खुद की खेती करने की ज़मीन भी नहीं है।

एक बिचोलिये ने इन किसानों, जिनमें से बहुत से भूमिहीन है, के नकली कागज़ बनाकर लोन लिए थे। इनमें से एक किसान को बैंक की तरफ से लगभग 1 लाख 79 हज़ार का लोन ब्याज समेत लौटने का नोटिस मिला है। एक और किसान को लगभग 1 लाख 38 हज़ार का लोन ब्याज समेत लौटने का नोटिस मिला है।

2014 से चल रहे इस घोटाले का का सच सामने आते-आते कई साल लग गए। साल 2017 में बिचौलिया लोन चुका नहीं पाया जिसके बाद साल 2018 में तहसीलदार ने जमीन के रिकॉर्ड को सही किया। लेकिन बैंक ने लोन ना चुकाने पाने का नोटिस इन्हीं किसानों को भेजा है।

ये पूरा मामला लोन घोटाले के समेत APGVB बैंक की नाकामी का है। एक ऐसी नाकामी जिसका ठीकरा अब गरीब किसानों के सर पर फोड़ा जा रहा है।

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