भारत से सैकड़ों दलितों को कुछ साल पहले एक विशाल मंदिर बनवाने के लिए अमेरिका ले जाया गया, और वहां उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई गई।

मज़दूरों को अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी का झांसा देकर विदेश ले जाया गया, और उसके बाद उनसे कई घंटों तक जबरदस्ती काम करवाया जाता रहा। ये सभी अमेरिकी कानून के खिलाफ है।

न्यू जर्सी स्थित इस मंदिर का निर्माण करवाने वाली बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) के खिलाफ मंगलवार को भारत लौटे 6 मज़दूरों ने मुकदमा दर्ज करवाया है।

‘एशिया टाइम्स’ के दावे के अनुसार, (BAPS) पूरी दुनिया में हिन्दू मंदिरों का निर्माण करवाती है, और इसके भारत की सत्तारूढ़ पार्टी से अच्छे संबंध है।

इसी संस्थान ने आबूधाबी में पहले मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में उद्घाटन किया था।

BAPS के खिलाफ अदालत में दायर मुकदमे में दावा किया गया है कि उसने मानव तस्करी कर मजदूरी कानून तोड़ने के अपराध किए गए हैं।

जिन सैकड़ों मज़दूरों का अमेरिका में शोषण किया गया था, उनमें से छह वापस अपने घर- राजस्थान- आ गए हैं। उनका दावा है कि संस्थान द्वारा उनसे एक हफ्ते में 87 घंटों का काम लिया जाता था और साल में कुछ ही दिन की छूटी मिलती थी।

इसके साथ-साथ दलित मज़दूरों को एक बंद परिसर में रहने के लिए मजबूर किया गया था। उनपर सुरक्षा गॉर्डस और कैमरों द्वारा निगरानी राखी जाती थी। मज़दूरों का कहना है कि उनके काम के लिए उन्हें प्रति घंटा $1.20 दिया जाता था।

अंतराष्ट्रीय एजेंसी ‘रायटर्स’ के अनुसार न्यू जर्सी में कानून है कि किसी श्रमिक को कम से कम 12 डॉलर प्रति घंटे का वेतन दिया जाना चाहिए। अमेरिका का कानून है कि अगर कोई श्रमिक हफ्ते में 40 घंटों से ज़्यादा काम करे तो उसके वेतन को डेढ़ गुना बढ़ाया जाना चाहिए।

भारत के दलित मज़दूरों के दावों से साफ़ पता चलता है कि उनका शोषण हुआ है। हैरानी की बात है कि इतने बड़े मुद्दे को भारत के ही मीडिया में कुछ ख़ास जगह नहीं मिली है।

ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि भारत में दलितों का श्रम-शोषण बेहद आम बात है और न्यूज रूम में बैठे कथित ऊंची जाति के लोगों को ये कोई अपराध ही न लगता हो।

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