15 जून 2004 को अहमदाबाद के पास 19 साल की इशरत जहां सहित जावेद शेख, प्रणेश पिल्लई, अमजदली अकबराली राणा और ज़ीशान मालिक को पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में मार गिराया था। पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और एन.के अमीन इस एनकाउंटर के आरोपी हैं।

Ahmedabad: Former police officer DG Vanzara and NK Amin arrives at a special CBI court for a hearing in the alleged fake encounter case of Ishrat Jahan and others, in Ahmedabad on Tuesday, August 07, 2018. CBI court today rejected the discharge applications of former Gujarat Police officers D G Vanzara and N K Amin in the said case. (PTI Photo/Santosh Hirlekar) (Story no LGB4)(PTI8_7_2018_000172B)
गुजरात पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन

इस केस को लेकर ताजा अपडेट ये है कि सीबीआई को गुजरात सरकार से जांच करने से रोक दिया। कोर्ट ने रिटायर्ड पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और आईपीएस एन.के अमीन के खिलाफ मुक़दमे में सीबीआई से दखलंदाज़ी के लिए कहा था। मंगलवार को सीबीआई ने विशेष अदालत में कहा कि गुजरात सरकार ने डीजी वंजारा और एन.के अमीन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया है।

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इसका मतलब ये हुआ कि डीजी वंजारा और एन.के अमीन को गुजरात की BJP सरकार की तरफ से बड़ी राहत मिली है। अब राहत के इस पल का अनंद उठाते हुए आईपीएस एन.के अमीन ने ट्विटर पर भाजपा का प्रचार शुरू कर दिया है।

पीएम नरेंद्र मोदी के चौकीदार कैंपेन में आईपीएस एन.के अमीन ने अपना सहयोग दिया है और अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ लगा लिया है। अब वो ‘चौकीदार डॉ. नरेंद्र अमीन आईपीएस’ हो गए हैं। एक ही नाम में चौकीदार और आईपीएस दोनों लगा हुआ है। अगर एन.के अमीन जी को चौकीदारी इतनी ही पसंद है तो आईपीएस की नौकरी छोड़ क्यों नहीं देते?

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एन.के अमीन के चौकीदार बनने पर वरिष्ठ पत्रकार राणा आयूब ने लिखा है ‘दो दिन पहले इस अधिकारी को गुजरात सरकार ने इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ में सीबीआई द्वारा अभियोजन से बचाया था। अब वह चौकीदार हैं।’

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