त्रिपुरा में नाबालिक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में मंत्री के बेटे का नाम जुड़ जाने से मामला राजनीतिक हो चुका है और सूबे में सियासी तूफान खड़ा हो चुका है।

विपक्षी दल कांग्रेस और CPI(M) के नेता कानून व्यवस्था के साथ-साथ भाजपा नेताओं की नीयत पर भी सवाल उठा रहे हैं और पुलिस प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि मंत्री के बेटे को भी गिरफ्तार करके पूछताछ की जाए क्योंकि गैंगरेप जिस बिल्डिंग में हुआ, उसकी बुकिंग मंत्री के बेटे ने ही की थी।

हालांकि भाजपा नेता अपने मंत्री का बचाव करते हुए पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं और मंत्री के बेटे के वहां मौजूद ना होने का दावा कर रहे हैं।

जानें क्या है मामला:

पीड़िता की मां के बयान और FIR के मुताबिक- पड़ोस में रहने वाली एक लड़की नाबालिग को एक पार्टी में ले जाती है जो किराए के लिए गए फ्लैट में आयोजित की गई होती है।

वहां पर कोई नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता है। मामले में पुरुष अभियुक्तों के साथ-साथ पड़ोस की उस लड़की को भी आरोपी बताया है।

विपक्षी दलों का कहना है कि मामले में मंत्री भगवान दास का बेटा शामिल है क्योंकि पार्टी वाले फ्लैट की बुकिंग उसी ने की थी, मगर उससे पूछताछ नहीं की जा रही है।

कांग्रेस नेता आशीष साहा कहते हैं- “मामले में मंत्री के बेटे का नाम आ रहा है इसलिए हम इसपर मुख्यमंत्री माणिक साहा का बयान चाहते हैं। साथ ही सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हैं।”

CPIM के स्टेट सेक्रेटरी जितेंद्र चौधरी कहते हैं- “मंत्री के बेटे का नाम सुनकर स्तब्ध हूँ। उसकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।अगर वो आरोपी है तो उससे पूछताछ की जानी चाहिए।”

इन आरोपों पर जवाब देते हुए भाजपा के उनाकोटी जिलाध्यक्ष पबित्र चंद्र देबनाथ ने कहा- ” आरोप निराधार हैं और राजनीति से प्रेरित हैं। 19 अक्टूबर को जब घटना घटी तब मंत्री का बेटा घटनास्थल ही नहीं पूरे कुमार घाट में नहीं था उस समय वो अगरतला में मौजूद था।”

क्योंकि मामले में सत्तारूढ़ दल के मंत्री के बेटे का नाम आया है और उससे पूछताछ नहीं की जा रही है इसलिए मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है।

हालांकि विपक्षी दलों की तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा के तमाम नेता मंत्री के बेटे का बचाव करने में सफल दिख रहे हैं।

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