प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों के लिए कितना ब्लैकमनी(Black Money) खर्च किया जाता है और चुनावों में सरकारी मशीनरी का कितना गलत इस्तेमाल किया जाता है, इसका खुलासा भारतीय जनता पार्टी(BJP) के सांसद ने एक स्टिंग ऑपरेशन में किया है।

Tv9 भारतवर्ष के स्टिंग ऑपरेशन में राजस्थान के भरतपुर से BJP सांसद बहादुर सिंह कोली ने प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भीड़ जुटाने के लिए करोड़ों रुपए का खर्च करने, चुनावों में 2-3 करोड़ रुपए ब्लैकमनी खर्च करने, कालेधन को पुलिस और एम्बुलेंस की गाड़ियों से चुनावी क्षेत्रों में पहुंचाने समेत कई बड़े खुलासे किए हैं।

BJP सांसद बहादुर सिंह कोली के हैरान कर देने वाले खुलासे…

1. चुनाव में 2-3 करोड़ रुपये ब्लैकमनी खर्च करते हैं।
2. चुनाव लड़ने के लिए पार्टी 50 लाख रुपये ब्लैकमनी देती है।
3. पीएम मोदी की रैली में भीड़ के लिए 10-10 लाख रुपये दिये थे।
4. वोटर्स को लाने के लिए हर बूथ पर 5,000 रुपये खर्च किए जाते हैं।
5. चुनावी खर्च के लिए एम्बुलेंस में ब्लैकमनी मंगवाते हैं।
6. पुलिस की गाड़ियों और एम्बुलेंस में मंगवाया जाता है कालाधन।
7. गाड़ी और शराब पर लाखों का कालाधन फूंकते हैं।
8. हवाला के जरिए कालाधन आसानी से मंगा लेते हैं।
9. समर्थकों और प्रचारकों के लिए खाना और शराब कालेधन से आता है।
10. वोटिंग से पहले गाड़ियों की संख्या बढ़ाकर चुनाव आयोग को धोखा दिया जाता है।
11. दिल्ली से जयपुर और जयपुर से लोकसभा क्षेत्र तक पहुंचता है पैसा।

‘एक रैली पर 80 लाख रुपये खर्च’

BJP सांसद बहादुर सिंह कोली ने Tv9 भारतवर्ष के स्टिंग ऑपरेशन में यह बताया है कि यदि बड़े नेताओं की रैली होती है तो 80 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं। ये पैसा रैली में लोगों की भीड़ जुटाने में ख़र्च होता है। सांसद ने बताया कि चुनाव लड़ने में 3 करोड़ रुपये तक खर्च हो जाते हैं।

पार्टी की तरफ से मिलता है एक करोड़ रुपए

भाजपा सांसद ने इस स्टिंग ऑपरेशन में यह कबूला है कि चुनाव के लिए पार्टी से 1 करोड़ रुपए तक की मदद मिल जाती है। लेकिन आधा पैसा अर्थात 50 लाख रुपये हवाला के ज़रिए उन तक पहुंचता। ज़रूरत पड़ी तो लाखों की ये ब्लैकमनी एंबुलेंस या पुलिस की गाड़ी में भेज दी जाती है।

बता दें कि चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख तय की है। अब सवाल उठता है कि जब चुनाव आयोग ने प्रति उम्मीदवार 70 लाख ही खर्च करने का निर्देश दिया है तो फिर BJP सांसद बहादुर सिंह 3 करोड़ कैसे खर्च कर देते हैं? तय रकम से ज्यादा खर्च करने वाले उम्मीदवारों को अगर चुनाव आयोग पकड़ ही नहीं पाती है तो फिर निर्देश की क्या अहमियत है?

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