मेक इन इंडिया पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटी से छोटी चीज़ से लेकर रक्षा क्षेत्र के हथियार देश में ही बनाने पर ज़ोर दिया. लेकिन पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल के बाद भी भारत अपनी ज़रूरत को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर ज़रूरी हथियार नहीं बना पा रहा है जिसका असर भारतीय रक्षा प्रणाली पर पड़ रहा है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट से ये सनसनीखेज़ बात सामने आई है कि पीएम मोदी भले मेक इन इंडिया पर ज़ोर दे रहे हैं लेकिन उनकी ये कोशिश भारत को पाकिस्तान और चीन के सामने कमज़ोर बना रही है.
अधिकारियों का कहना है कि भारत की आर्मी, इंडियन नेवी और एयरफोर्स पुराने पड़े हथियारों को बदलने के लिए ज़रूरी हथियार आयात नहीं कर पा रही है, जिसकी वजह से साल 2026 तक भारत के पास हैलीकॉप्टर्स की कमी हो सकती है, और 2030 तक लड़ाकू विमानों की कमी हो सकती है.
प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम 30 से 60% कलपुर्ज़ों को देश में बनाने का आदेश देता है. यह इस पर निर्भर होता है कि सैन्य खरीद कैसी है और इसे कहां से खरीदा जा रहा है.
भारत में पहले ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं थी और फिर भारत ने रक्षा खरीद की लागत घटाने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मााण का तंत्र प्रयोग किया.
लेकिन चीज़ें थम गईं और भारत की सैन्य तैयारी पहले से भी कम होने वाली है. वो भी तब जब पाकिस्तान और चीन की तरफ से भारत खतरे का सामना कर रहा है.
एक व्यक्ति ने कहा, “भारत के लिए कमजोर वायुसेना के मायने होंगे कि उसे चीन का सामना करने के लिए जमीन पर लगभग दुगने सैनिकों की आवश्यकता पड़ेगी.”
ब्लूमबर्ग ने तीनों सेवाओं के कई अधिकारियों से इस खबर के लिए बात की. उन्होंने पहचान सार्वजनिक ना करने की शर्त पर यह संवेदनशील जानकारी साझा की.
ब्लूमबर्ग की ये रिपोर्ट देश को चिंता में डालने वाली है, क्योंकि ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कहा जा सकता है.
पाकिस्तान अपनी हरक़तों से बाज़ नहीं आता है तो चीन भी एलएसी पर आंखें दिखाता रहता है, ऐसे में हथियारों, सैन्य उपकरणों की कमी हमें बड़ी मुश्किल में डाल सकती है.