पीएम केयर्स फंड में हो रही धांधली की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। ताजा मामला महाराष्ट्र का है। पीएम केयर्स फंड की ओर से मराठवाड़ा को मिले 150 वेंटिलेटर्स में से 113 खराब पाए गए हैं। इस पर बांबे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए जवाब मांगा है।

बांबे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा कि खराब वेंटिलेटर्स की वजह से मरीजों की जान को खतरा हो सकता था।

कोर्ट ने वेंटिलेटर जांच के नाम पर बार बार अस्पताल के दौरे करने वाले नेताओं को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि 150 में से 113 वेंटिलेटर्स का खराब पाया जाना सामान्य बात नहीं है।

महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि पीएम केयर्स फंड की ओर से जो वेंटिलेटर्स भेजे गए थें, वो बेहद खराब क्वालिटी के थे। इन वेंटिलेटर्स के इस्तेमाल से मरीजों की परेशानी और बढ़ जा रही थी। मरीजों के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जा रही थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि वेंटिलेटर मरीजों की जान बचाने वाला यंत्र है. अगर ये ठीक तरह से काम नहीं करते हैं तो मरीजों की जान को इससे खतरा हो सकता है। कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से इस मामले में सफाई मांगी है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार यह बताए कि इस प्रकार की शिकायतों को दूर करने के लिए आप आगे के लिए कौन सी योजना बना रहे हैं क्योंकि ये बेहद गंभीर मामला है जो लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है।

महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि ये सभी वेंटिलेटर्स पीएम केयर्स फंड की ओर से औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज को भेजे गए थे। इन्हें ज्योति सीएनसी नामक कंपनी ने तैयार किया है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार बताए कि खराब वेंटिलेटर्स बनाने वाली कपंनी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है? ये आम आदमी के पैसे से बनाए गए वेंटिलेटर हैं।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि किसी भी सूरत में इस प्रकार के घटिया वेंटिलेटर बनाए जाने वाली कपंनी बचनी नहीं चाहिए।

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि अगर ये वेंटिलेटर खराब हैं और इसकी जानकारी सरकार को भी है तो इन्हें वापस क्यों नहीं किया जा रहा है ?

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