उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में वर्ष 2018 में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज ने स्थानीय कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इससे पहले योगेश ने हाईकोर्ट में ज़मानत याचिका डाली थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
पत्रकार अलोक पांडेय ने योगेश के सरेंडर होने का वीडियो साझा करते हुए लिखा, “ये आदमी योगेश राज है, बुलंदशहर में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का मुख्य आरोपी है। इसी की तरह पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी बेल पर बहार हैं। योगेश राज ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत रद्द करने के बाद आज सरेंडर कर दिया है।”
This man is Yogesh Raj , one of the main accused in the lynching of @bulandshahrpol inspector Subodh Kumar Singh in 2018. Like him, many others arrested by police for the crime are out on bail . Yogesh Raj has ‘surrendered’ today after the SC cancelled his bail …. pic.twitter.com/P9FSuDHk9T
— Alok Pandey (@alok_pandey) January 7, 2022
दरअसल, आज से ठीक 4 साल पहले यानी 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जिले के स्याना थाना के पास कथित गो हत्या की अफवाह के बाद काफी हिंसा हुई थी। इस हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित नाम के एक युवक की मौत हो गई थी।
मामले के मुख्य आरोपी बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को पुलिस ने घटना के एक महीने बाद 3 जनवरी, 2019 को गिरफ्तार किया था। सत्ता के तमाम समर्थन हासिल होने के बावजूद दंगाई हो चुका योगेश को कोर्ट से राहत नहीं मिल पा रही है। जमानत को रद्ध करते हुए उच्चतम न्यायलय ने कहा था कि ‘गोहत्या के बहाने पुलिस अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या की गई थी। यह गंभीर मामला है।’
गो-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा और हत्या का ये मामले कई वजहों से दिलचस्प है। 2014 के बाद गाय के नाम पर शुरू हुई हिंसा की सीरीज़ को इस मोड़ पर आकर कुछ देर के लिए ही सही लेकिन रुकना पड़ा था। क्योंकि मोदी सरकार में पहली बार गाय की रक्षा के नाम पर कोई पुलिस वाला मारा गया था… जो हिन्दू भी था।
साथ ही इस घटना ने ये भी साबित किया कि हिन्दू और गाय बचाने के नाम पर निकला युवा फंसने के बाद खुद को भी नहीं बचा पाता है। कुछ दिन मीडिया में हेडलाइन तो मिल जाती है, पोस्टर-बैनर भी लग जाते हैं। लेकिन भविष्य अनिश्चित हो जाता है। ऐसे लोग सत्ता के लिए खाद की तरह इस्तेमाल हो जाते हैं।