”अभी तक बिमारी अज्ञात है। हर कोई अपनी राय दे रहा है। मेरा मानना है कि हमें 4जी पर ज्यादा काम करने की जरूरत है। पहले जी से गांव, दूसरे जी से गर्मी, तीसरे जी से गरीबी और चौथे जी से गंदगी। कहीं न कहीं इससे इस बीमारी का ताल्लुक है। जो भी इलाज के लिए मरीज आते हैं, वह गरीब तबके से होते हैं। ज्यादार अनुसूचित जाति के होते हैं। उनका रहन-सहन का स्तर बहुत नीचे है। उसको भी ऊपर उठाने की जरूरत है।”

ये बेतुका बयान मुजफ्फपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने दिया है। जिन्होंने बीमारी में भी जात का पता लगा लिया है। सविंधान के नाम पर शपथ लेने वाले ये सांसद बीमारी के लिए सरकार को दोषी नहीं मानते है।

बल्कि इसके लिए भी जाति ज़िम्मेदार है हैरान करने वाली बात ये है की ऐसे जातिवादी नेता उस पार्टी से आते है जिसका नारा ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास है’। बीजेपी सांसद यही नहीं रुकते उन्होंने ये भी कहा कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है हर इंसान की अपनी व्यस्तता होती है।

अब ये नीतीश कुमार पर बीजेपी सांसद का तंज था या वो वाकई इस बात को मानते है। ये तो वही जाने, मगर जातिवादी बयान जो उन्होंने दिया है वो बेहद शर्मनाक है और बीजेपी के सबका साथ सबका विकास के नारे की पोल भी खोलता है।

क्योंकि जहां से वो सांसद चुने गए है वहां बच्चों की मौत ने देश को हिलाकर रख दिया है। क्या अस्पतालों में दवाओं और बेड की कमी के पीछे भी वजह जाति है? क्या मासूम बच्चे जो जाति का ज भी नहीं जानते होंगें उनके लिए ऐसा बयान देना कितना शर्मनाक है वो भी तब जब आप जनता के प्रतिनिधि हो।

बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार की चपेट में हैं। मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है, वहीं अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या 414 बताई जा रही है है। अबतक सिर्फ मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ही 89 मौत हो चुकी है।

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