मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के बारे में भले ही जितने मर्जी झूठ फैला ले। लेकिन सच को बाहर आने से कोई नहीं रोक सकता। साल 2019 में बेरोज़गारी अपने उच्चतम स्तर पर जा पहुंची है। लेकिन मोदी सरकार ने 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का ढिंढोरा पीटा।

भारत सरकार की तरफ़ से जीडीपी का आँकड़ा 31 अगस्त को जारी किया जा चुका है। नेशनल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही का जीडीपी का आंकड़ा -23.9 फीसदी रहा है।

इन आंकड़ों के सामने आने के बाद से ही मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ चुकी है। कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने इस मामले में ट्वीट कर मोदी सरकार को घेरा है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि “5 ट्रिलियन डॉलर की Economy बनाने के लिए +9% की विकास दर चाहिए -23.9% की नहीं।” इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी गिर रही अर्थव्यवस्था के मामले में मोदी सरकार पर कई बार निशाना साधा है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी राज में भारत में बेरोजगारी, जीडीपी, गरीबी रेखा, किसान आत्महत्या आदि से जुड़े सभी आंकड़े छुपाए जाते रहे हैं। लेकिन अब सरकार ने कोरोना महा संकट के दौरान यह ऐलान कर दिया है कि भारत की विकास दर 50 साल पीछे चली गई है।

हाल ही में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महा संकट में अर्थव्यवस्था के गिरने को ”एक्ट ऑफ गॉड” करार दिया था। जिसके बाद मोदी सरकार की सोशल मीडिया पर भी काफी किरकिरी हो चुकी है।

आपको बता दें कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल तो चेतावनी दे चुकी थी कि अप्रैल से जून के बीच देश की जीडीपी में 45 प्रतिशत की गिरावट दिखेगी। इस वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यस्था की ग्रोथ सिर्फ 5 फीसदी रहने का अनुमान है। जोकि बीते 11 साल में सबसे कम है।

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