Congress
Congress

प्रवासी मज़दूरों की मदद के लिए अाई कांग्रेस की 1000 बसों को योगी सरकार द्वारा परमिशन ना मिलने के बाद वापस भेज दिया गया है। ये बसें यूपी बॉर्डर पर तकरीबन 33 घंटे तक खड़ी रहीं, लेकिन इनका इस्तेमाल मज़दूरों की मदद के लिए नहीं किया गया। सरकार ने इन बसों के काग़ज़ की जांच की और इनमें से कुछ बसों को अनफिट करार दे दिया।

सरकार ने बाकी बच्ची बसों का इस्तेमाल ना करने के पीछे दलील दी कि ये बसें राजस्थान से अाई हैं। सरकार और बीजेपी नेताओं का कहना है कि राजस्थान कि बसों का इस्तेमाल वहां के प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए किया जाना चाहिए ना की यूपी के लिए।

सरकार का दावा है कि यूपी में पर्याप्त बसें चलाई जा रही हैं, जिससे प्रवासी मज़दूरों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है। हालांकि सरकार के इन दावों में कितनी सच्चाई है, इस बात का अंदाज़ा हाल में प्रदेश में हुई कुछ बड़ी घटनाओं को देखकर लगाया जा सकता है। मुजफ्फरनगर में पैदल चल रहे मज़दूरों पर रोडवेज की बस चढ़कर निकल गई, जिसमें 6 मज़दूरों की मौत हो गई थी। वहीं औरैया में मज़दूरों से भरी ट्रक पलटने से 24 मज़दूरों की मौत हो गई थी।

अब सवाल ये है कि सरकार द्वारा अगर पर्याप्त बसें चलाई जा रही हैं तो मजदूर पैदल और ट्रकों से क्यों चल रहे हैं। राजमार्गों पर अभी भी पैदल चलते मजदूर नज़र आ रहे हैं, जिससे साबित है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही बसें पर्याप्त नहीं हैं। प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए उसे और बसों की जरूरत है। कांग्रेस ने इसी ज़रूरत के तहत योगी सरकार को हज़ार बसों की पेशकश की थी। जिसे काग़ज़ी दांवपेंच में फंसाकर सरकार ने खारिज कर दिया।

सवाल ये है कि आखिर सरकार को कांग्रेस से मदद लेने में आपत्ति क्या है? भाषणों में संकट के समय में विपक्ष से कांधा मिलाकर चलने की अपील करने वाली बीजेपी को मज़दूरों की मदद को लेकर विपक्ष के साथ आने पर ऐतराज़ क्यों हुआ?

योगी सरकार के इस रवैये पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने तीखा तंज़ कसा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “विडंबना देखिए – जो लोग सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के विधायक ले सकते है वही मज़दूरों को सुरक्षित अपने घर पहुँचाने के लिए कांग्रेस की 1000 बसें नहीं ले सकते।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here