जम्मू कश्मीर के निलंबित डीएसपी दविंदर सिंह को मई के महीने में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। दविंदर पर आंतकवादियों की मदद करने का आरोप लगा था।

दविंदर मामले की जांच नहीं होगी लेकिन उसे सेवा से बाहर कर दिया गया है और छोड़ दिया गया है।

दविंदर की बर्खास्तगी के पत्र को जारी करते हुए कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है।

सुरजेवाला ने एक के बाद एक कई सवाल दागते हुए पूछा है कि “कौन है जम्मू कश्मीर का डीएसपी दविंदर सिंह? सरकार उसकी जांच क्यों नहीं कर सकती? दविंदर की जांच से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा क्यों है? पुलवामा कांड में दविंदर सिंह की भूमिका क्या है?

सुरजेवाला ने आगे पूछा है कि देश को यह जानने का अधिकार है कि दविंदर सिंह को किसके साथ गिरफ्तार किया गया था? मोदी सरकार यह सब बताती क्यों नहीं है? आखिर क्या छुपा रही है मोदी सरकार ?

दरअसल सुरजेवाला ने जो ऑर्डर लेटर की कॉपी लगाई है उसके दूसरे पैराग्राफ में साफ तौर पर कहा जा रहा है कि राज्य की सुरक्षा के हित में उसकी जांच उचित नहीं है, इसलिए वो जांच नहीं चाहते हैं।

इस वाक्य ने कई सवालिया निशान खड़े कर दिए है। आखिर क्या राज दफन है इसमें, जो जांच से ही इंकार किया जा रहा है।

बड़ा सवाल उठता है कि आखिर ऐसे कौन से और किसके राष्ट्रीय हित दविंदर मामले की जांच से जुड़े है जिसकी वजह से आतंकवादियों की मदद करने जैसे संगीन मामलों के आरोपी को ऐसे ही छोड़ा जा चुका है, वह भी बिना जांच के।

आतंकवादियों को खुफिया सूचना पहुंचाने के आरोपी, हथियारों के साथ पकड़े गए पूर्व डीएसपी दविंदर की जमानत हो जाना, उस पर यूएपीए न लगना पहले से ही लोगों के मन में शक पैदा कर रहा था,

अब यह नया आदेश जिसमें उसे नौकरी से तो बर्खास्त कर दिया गया लेकिन देश की सुरक्षा का बहाना बताकर उसके खिलाफ किसी भी प्रकार की जांच से इंकार करना बता रहा है कि दाल में कुछ काला नहीं है बल्कि पूरी दाल ही काली है।

दविंदर सिंह की सरकारी पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसे जनवरी 2020 में शेर ए कश्मीर पुलिस बहादुरी पदक से सम्मानित किया गया था।

बताते चलें कि दविंदर सिंह पर आंतकवादियों को सुरक्षित रास्ता प्रदान करने, सुरक्षा बलों की तैनाती की जानकारी आतंकवादियों को देने और हिजबुल मुजाहिदीन के आंतकवादियों को पुलिस गेस्ट हाउस में छिपाने जैसे बेहद गंभीर आरोप लगे थें, फिर भी बिना जांच के उसे छोड़ दिया गया है।

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