सीबीआई विवाद में बड़ा ख़ुलासा हुआ है। क़रीब ढाई महीने पहले जब मोदी सरकार ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था, तो उसके एक दिन पहले सीवीसी केवी चौधरी आलोक वर्मा से मिले थे। उन्होंने वर्मा से कहा था कि वो, “राकेश अस्थाना को अकेला छोड़ दें”

ज़ाहिर है कि राकेश अस्थाना सीबीआई में नं. दो की हैसियत रखते हैं और वो मोदी सरकार के बेहद क़रीबी माने जाते हैं।

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एक मीडिया संस्थान ने इस बात का ख़ुलासा किया है।

वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने भी ट्वीटर पर लिखा हैं कि, “तत्कालीन सीबीआई चीफ़ आलोक को मोदी सरकार द्वारा जबरन छुट्टी पर भेजने से एक दिन पहले केंद्रीय सतर्कता आयुक्त चौधरी आलोक वर्मा से मिले थे। उन्होंने आलोक वर्मा से अस्थाना को अकेला छोड़ देने की बात कही थी।“

ग़ौरतलब है कि सीवीसी के रिपोर्ट के बाद ही 10 जनवरी को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाकर फ़ायर और होमगार्ड विभाग का निदेशक बना दिया था।

पूरा मामला-

ढाई महीनें पहले तत्कालीन सीबीआई चीफ़ आलोक वर्मा और मोदी सरकार के क़रीबी राकेश अस्थाना की आपस में अनबन चल रही थी। दोनों एक दूसरे पर मीट कारोबारी मोईन क़ुरैशी केस में आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे।

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विवाद के बीच में ही मोदी सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। 77 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा की याचिका पर फ़ैसला देते हुए उन्हें फिर से सीबीआई का महानिदेशक बना दिया। लेकिन दो दिन बाद ही पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने उन्हें पद से हटा दिया।

राहुल गाँधी समेत तमाम विपक्षी नेता, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता ये कहते आएँ हैं कि क्योंकि आलोक वर्मा राफ़ेल घोटाला मामले में जाँच करने वाले थे इसलिए मोदी सरकार उन्हें बार-बार हटा देती है।

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