जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों द्वारा ‘कथित’ हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि, इन 10 गिरफ्तार लोगों में एक भी ‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया’ (Jamia Millia Islamia) का छात्र नहीं है। इन सभी गिरफ्तार लोगों का कोई न कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड है।
अब सवाल है कि हिंसा सड़क पर हुई, बसें सड़क पर जलीं और उन्हें जलाने वाले जामिया के छात्र नहीं थे, तो फिर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) जामिया के कैम्पस में घुसकर छात्रों पर लाठियां क्यों भांज रही थी?
छात्रों को लाइब्रेरी के अंदर डेस्क के नीचे शरण लिए छात्रों को बाहर खींचकर उनपर पुलिस ने लाठियां क्यों मारी? गर्ल्स हॉस्टल तक से मर्द पुलिस वालों ने क्यों लड़कियों को खींचकर उनके साथ बदतमीजी की? हॉस्टल के भीतर तक क्यों आंसू गैस के गोले दागे गए?
निर्दोष छात्रों को पीटा जाना बर्बर है, अब हमें अपने देश को लोकतांत्रिक देश कहना छोड़ देना चाहिए : परिणीति
जामिया और जामिया के छात्रों के बारे में देश में जो गलतबयानी की जा चुकी है! अब कौन धोएगा विद्यार्थियों के दामन पर लगे उपद्रवियों के दाग? कौन पोछेगा उस लड़की के आंसू जिसने दिल्ली को अपना बनाकर अपना भविष्य बनाने के लिए अपना घर छोड़ा था लेकिन उसके सपनों को जला दिया गया?
कौन साफ करेगा जामिया की उन दीवारों पर लगे खून के धब्बों को जिन्होंने अब तक सिर्फ राष्ट्र निर्माण की अनुगूंज सुनी थी पहली मर्तबा अपनों से मिले आह ने खून से रंग दिया?
इतिहास याद रखेगा कि कुछ मक्कार लोगों ने धर्म के नाम पर छात्र-छात्राओं पर लाठियां-गालियां बरसाईं
गौरतलब है कि, दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन पर पुलिस ने बल प्रयोग किया जिसके बाद इलाके में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं। साथ ही जामिया में हुई पुलिसिया लाठीचार्ज को लेकर पूरे देश के विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हो रहे हैं। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, पटना यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी, पंजाब यूनिवर्सिटी, जाधवपुर यूनिवर्सिटी, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास सहित तमाम विश्वविद्यालय जामिया के समर्थन में उतर गए हैं।