…मजधार में नैया डोले,  तो माझी पार लगाये। माझी जो नाव डुबोये, उसे कौन बचाये। वर्तमान भारत के चुनाव आयोग की कार्यशैली देख यह गाना बरबस ही मुंह से निकल पड़ता है।

फिल्म अमरप्रेम का यह गीत सत्ताधारी पार्टी के गोद में बैठे चुनाव आयोग और लोकतंत्र के खत्म होने की आशंका व्यक्त करने वाले देशवासियों के लिए एक संदेश हो सकता है।

अब हम जो खबर आपको बताने जा रहे हैं हो सकता है कि मेरे लेख की भावनाओं से ज्यादा आप उस फोटो और उस पर लिखे संदेश को पढ़कर इससे भी आगे सोचने को मजबूर हो जाएं। हम बात कर रहे हैं सेना पर राजनीति नहीं करने का दिशा-निर्देश देने वाले खुद ही सेना के पक्ष में पोस्टर छपवाने वाले वाले भारती के चुनाव आयोग की।

उत्तराखंड चुनाव आयोग ने मतदान करने के लिए आम जनता से वोट डालने की अपील करते हुए एक विज्ञापन दिया है, लेकिन इस विज्ञापन को देखकर ऐसा लगता है कि इस विज्ञापन को चुनाव आयोग के अधिकारियों ने नहीं बल्कि बीजेपी के नेताओं ने बनाया है।

चुनाव आयोग की गाड़ी में मिली ‘मैं भी चौकीदार’ की टोपी, क्या EC भी भाजपा का ‘चौकीदार’ बन गया है?

विज्ञापन में लड़ाई के मैदान में सेना के जवानों का फोटो दिखाते हुए आयोग ने लिखा है, मेरा वोट महत्वपूर्ण है। (माई वोट मैटर्स)। इसी में एक अन्य बॉक्स में लिखा है, “ हमारा शक्तिशाली हथियार केवल वह बंदूक नहीं है जो हमारे पास है, बल्कि यह भी है कि हम किस बटन को दबाते हैं। लोकतंत्र की सुरक्षा करें। ”

आयोग के इस विज्ञापन पर पूर्व बीबीसी के पत्रकार आशीष यादव ने ट्वीट कर संविधान के बचाने वाले को सत्ताधारी पार्टी का एजेंट करार दिया है। उन्होंने लिखा है, “ किससे करेंगे शिकवा, किससे करेंगे शिकायत। जिन पर संविधान के पालन की जिम्मेदारी। वो ही सत्ताधारी पार्टी के एजेंडा पर चल रहे। #shamefulEC ”

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