लखीमपुर खीरी हत्याकांड मामले के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा जमानत मिल गई है। मंत्री पुत्र को जमानत इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दी है। हालांकि जमानत मिलने के बाद भी आशीष मिश्रा तत्काल बाहर नहीं आएंगे। तमाम प्रक्रियाओं को पूरा होने में लगभग 5 दिन का वक्त लग सकता है। लखीमपुर खीरी में मतदान चौथे चरण में यानी 23 फरवरी को है। संभव है कि आशीष मिश्रा जेल से आज़ाद होकर मतदान में करें।

दूसरी तरफ किसान पक्ष अभी भी इस कोशिश में है कि आशीष मिश्रा जेल से बाहर ना आ पाएँ। कोर्ट में किसानों पक्ष वाले शशांक सिंह और मोहम्मद अमान का कहना है कि रिहाई का प्रश्न ही नहीं उठता। चार्जशीट में 17 वैज्ञानिक साक्ष्य, 7 भौतिक साक्ष्य, 24 वीडीयो व 208 गवाह हैं। बेल देने का पुरजोर विरोध होगा। किसान पक्ष के वकील जल्द ही बेल रिजेक्शन एप्लीकेशन हाईकोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।

कई किसान नेता भी आशीष मिश्रा के बेल पर सवाल उठा रहे हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसान नेता बलजिंदर मान ने एकतरफा सुनवाई का आरोप लगाते हुए कहा है कि ”सुनवाई के वक्त जब किसानों के वकील के बोलने की बारी आई तो इंटरनेट कनेक्शन ही कट गया। सुनवाई ऑनलाइन हुई है, इसलिए एकतरफा बात सुनकर बेल एप्लिकेशन मंजूर कर दी गई है। हमारी तरफ से री-हियरिंग के लिए एप्लिकेशन दे दी गई है।”

गौरतलब है कि SIT ने अपनी चार्जशीट में लखीमपुर खीरी हत्याकांड को सुनियोजित साजिश मानते हुए कुल 14 अभियुक्तों को आरोपी बनाया गया था। कुल 5,000 पन्नों की चार्जशीट को मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के खिलाफ पुख्ता सुबूत माना जा रहा था।

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने बड़ा आन्दोलन किया था। उसी दौरान लखीमपुर में 3 अक्टूबर 2021 को दोपहर करीब तीन बजे तीन गाड़ियों (थार जीप, फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो) ने किसानों को रौंद दिया था। इस हिंसा में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 4 किसान, एक स्थानीय पत्रकार, दो भाजपा कार्यकर्ता शामिल हैं। आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी 9 अक्टूबर को हुई थी।

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