
देश में नोटबंदी हुए दो साल गुज़र चुके हैं। मगर नोटबंदी से हुए नुकसान के लगातार अलग-अलग आंकड़े सामने आते रहते हैं जिससे समीक्षा की जाती है कि नोटबंदी से किस वर्ग को सबसे ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
अब कृषि मंत्रालय से एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि कैश की किल्लत के चलते राष्ट्रीय बीज निगम के लगभग 1 लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए थे।
दरअसल, संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कृषि मंत्रालय ने कई खुलासे किये हैं जिसमें चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। मोदी सरकार ने जब नोटबंदी कि घोषणा की तो इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा उन लाखों किसानों को जो नगद की कमी के चलते रबी सीज़न में बुआई के लिए बीज-खाद नहीं खरीद सके।
यही नहीं जिस वक़्त नोटबंदी लागू हुई उस समय किसान अपनी खरीफ की पैदावार बेच रहे थे या फिर रबी फसलों की बुआई कर रहे थे। ऐसे वक़्त में किसानों को नगदी की ज़रूरत पड़ी, मगर नोटबंदी के कारण लाखों किसान बीज और खाद नहीं खरीद सके।
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हालाकिं मोदी सरकार ने किसानों को राहत देने के नाम पर गेहूं के बीज खरीदने के लिए 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट इस्तेमाल की छूट दी हुई थी मगर कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में ये दर्ज किया गया कि उसी दौरान बीज बिक्री में कोई ख़ास तेज़ी नहीं आई।
राष्ट्रीय बीज निगम के आकड़ो की माने तो कैश की कमी होने के चलते नोटबंदी के दौरान 1 लाख 38 हजार क्विंटल गेहूं के बीज नहीं बिक पाए।
कृषि मंत्रालय की इस रिपोर्ट से एक बात साफ़ है की नोटबंदी आम जनता के साथ-साथ उन लाखों किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा जो बेहद मध्यम वर्गीय या फिर गरीब तबके के थे जिनका जीवन सिर्फ किसानी पर निर्भर है।
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बता दें कि मोदी सरकार ने साल 2016 में नोटबंदी लागू की थी, 1000 और 500 के नोट बंद करने के पीछे आतंकवाद और कालाधन पर बड़ा हमला कहा गया था जबकि नोटबंदी के बाद विदेशी बैंकों में जमा पैसों में इजाफा भी दर्ज किया गया था।
ऐसे में नोटबंदी कई लोगों के लिए घाटे का सौदा रही और सरकार के वो सारे दावे फेल हुए जिसमें नोटबंदी कालेधन और आतंकवाद पर सीधा हमला बताया गया था।