देश में नोटबंदी के 2 साल बाद भी राजनीतिक दलों को चंदो की कमी नहीं हुई है। चुनाव आयोग को दी हुई एक रिपोर्ट में सामने आया है कि बीजेपी को साल 2017-18 में 400 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा मिल चुका है, वहीं कांग्रेस को सिर्फ 26 करोड़ रुपये ही चंदा मिला है यानी की बीजेपी को कांग्रेस से 20 गुना ज्यादा चंदा मिला है।

दरअसल मीडिया में आई रिपोर्ट्स की माने तो बीजेपी द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए आंकड़े बताते हैं कि देश के अच्छे दिन आए हों चाहे नहीं मगर बीजेपी के अच्छे दिन ज़रूर आ चुके हैं।

ये आंकड़े तब आए जब दोनों ही राजनीतिक दलों की तरफ से कोई बैलेंस शीट नहीं पेश की गई है।

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400 करोड़ से ज्यादा पैसे पाने वाली बीजेपी ने अभी तक अपना वार्षिक रिपोर्ट भी नहीं पेश की है। जबकि बताया जा रहा है कि वार्षिक रिपोर्ट में तो आंकड़ा एक हज़ार करोड़ तक पहुंच सकता है।

चंदे लेने में कांग्रेस पर भारी बीजेपी

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट और जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट के ज़रिए से सबसे ज्यादा चंदा मिला था। बीजेपी को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 144 करोड़ रुपये हासिल हुए और कांग्रेस को जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट में 2.32 की हिस्सेदारी के तहत आदित्य बिरला एनएसई ने कांग्रेस को सिर्फ 1 करोड़ रुपये ही दिए हैं जबकि बीजेपी को 12 करोड़ रुपये मिले हैं।

वहीं बात करें अगर ट्रंप इलेक्टोरल ट्रस्ट की तो पैसे देने वाले ट्रंप इलेक्टोरल ट्रस्ट तो मुरुगप्पा ग्रुप ने बीजेपी और कांग्रेस को एक-एक करोड़ दिए हैं।

इसके बाद बीजेपी मेहरबानी दिखाते हुए कैडिला हेल्थकेयर ने 13 करोड़ माइक्रो लैब प्राइवेट लिमिटेड ने 9 करोड़ और यूएसवी प्राइवेट लिमिटेड ने 9 करोड़ और लोढ़ा डिवलपर्स ने 6.5 करोड़ और रेयर इंटरप्राइजेज ने 9 करोड़ बीजेपी को चंदे के रूप में दिया हैं।

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गौरतलब हो कि चुनावी बांड के तहत को केंद्र सरकार ने चुनाव में राजनैतिक दलों के चंदे का ब्यौरा रखने के लिए बनाया है। जिसमें कहा गया था कि ये चंदे की पारदर्शिता के लिए है, चुनावी बॉन्ड के तहत हर राजनैतिक दल को दी जाने वाली पाई-पाई का हिसाब-किताब बैंक से होगा।

चुनावी बॉन्ड खरीदकर किसी पार्टी को देने से बॉन्ड खरीदने वाले को कोई फायदा नहीं होगा। न ही इस पैसे का कोई रिटर्न है। ये अमाउंट राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान की तरह है।

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