वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में देश का बजट पेश कर दिया। इस बजट में उन्होंने निजीकरण पर काफ़ी ज़ोर दिया।

अपने बजट भाषण के दौरान उन्होंने कई सरकारी कंपनियों, बैंकों और संपत्तियों को बेचने की बात कही। जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं।

अब वित्तमंत्री ने इन सवालों का जवाब दिया है। उन्होंने ये स्वीकार कर लिया है कि सरकार जिन राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने जा रही है, उन्हें वो चलाने में नाकाम रही है।

उन्होंने ये बात हिंदी न्यूज़ चैनल इंडिया टीवी के शो ‘आज की बात’ में एंकर रजत शर्मा द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही।

रजत शर्मा ने पूछा कि बजट में राष्ट्रीय संपत्ति बेचने की बात कही गई है।

इसपर वित्तमंत्री ने कहा, “नेशनल एसेट्स पब्लिक मनी लगातार जब उसमें से कुछ नहीं निकल रहा। ऊपर से घाटे में चल रहा है तो कितने साल तक आप पब्लिक टैक्स पेयर पैसों को लगातार कुएं में डालते जाएंगे”।

अपनी बात को सही ठहराने के लिए यहां वित्तमंत्री ने कई तर्क भी दिए। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा, “घाटे में चल रही राष्ट्रीय संपत्ति को एक भारतीय सिटिजन या ज्वाइंट वेंचर कंपनी को या भारत देश के किसी आपरेटर को सेल करके उसको चालू रखने में इकोनॉमी का फायदा है कि बंद करने से इकोनॉमी का फायदा है?”

उन्होंने आगे कहा, “उसको अगर कोई चलाने लायक वाले लेते हैं, चलाते हैं प्रोफेशनली, उससे फायदा है कि आइडल करने में फायदा है।

नुकसानदायक चलाने वाले से सरकार ने जहां उनका स्पेशलिज्म नहीं है उनके हाथ में रखना फायदेमंद है। इस सब को भी सोचना चाहिए। एयर इंडिया का विषय बहुत क्लासिक उदाहरण है”।

बता दें कि सरकार ने बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी को बेचने का फैसला किया है। सरकार को उम्मीद है कि इसके ज़रिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। जिसका इस्तेमाल सरकारी योजनाओं में किया जाएगा।

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