कोरोना को लेकर मीडिया द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ़ जिस तरह से दुष्प्रचार किया गया, उसके अब दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इसके चलते आम इंसान ही नहीं बल्कि डॉक्टर्स भी मुसलमानों से नफ़रत करते नज़र आ रहे हैं।

अब राजस्थान के प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों के व्हाट्सएप पर बातचीत का एक स्क्रीनशॉट सामने आया है। जिसमें डॉक्टर मुसलमान मरीजों का इलाज ना करने की एक-दूसरे से अपील कर रहे हैं और खुद भी ऐसा करने का वादा कर रहे हैं। ये व्हाट्सएप चैट चूरू जिले के एक निजी अस्पताल श्रीचंद बरदिया रोग केंद्र के कर्मचारियों की है।

अस्पताल के कर्मचारियों के बीच व्हाट्सएप पर वायरल होने वाले एक मैसेज में कहा गया कि मैं शपथ लेता हूं कि कल से हम मुस्लिम रोगियों का एक्स-रे नहीं करेंगे। एक अन्य मैसेज में लिखा है कि हमें मुस्लिम मरीजों के इलाज करना बंद कर देना चाहिए।

इस मामले को संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने अस्पताल के तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। ये एफआईआर भारतीय दंड संहिता (IPC)की धारा 153A (किसी भी धर्म पर हमला) और सार्वजनिक उपद्रव के लिए जिम्मेदार बयानों के तहत तीनों आरोपियों के खिलाफ़ दर्ज की गई है।

सरदारशहर पुलिस स्टेशन के एसएचओ महेंद्र दत्त शर्मा ने बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद जिन तीन अस्पताल कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें एक डॉक्टर, एक लैब टेक्नीशियन और एक कंपाउंडर है।

वहीं अस्पताल के मालिक डॉ सुनील चौधरी ने इस मामले को लेकर फ़ेसबुक पर माफ़ी मांगी है। उन्होंने कहा कि उनके अस्पताल के कर्मचारियों का उद्देश्य किसी भी प्रकार से किसी धार्मिक समुदाय के लोगो की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था।

बता दें कि इससे पहले कानपुर के GSV मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी का एक विडियो सामने आया था, जिसमें वो कोरोना पीड़ित मुस्लिम मरीजों को आतंकी बोल रही थीं और उन्हें जंगल में छोड़ आने की सलाह दे रही थीं।

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