उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘टीवी समाचार’ चैनलों पर दिखाई जाने वाली सूचनाओं के बारे में बात करते हुए गहरी चिंता व्यक्त की है।

लखनऊ में एक पत्रकार वार्ता में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि, “मैं बहुत कम टीवी देख रहा हूँ, अगर आज हम टीवी देखने लगे तो, जो हम सोच रहे हैं, वही सोचना बंद हो जाएगा।”

अखिलेश यादव की बात ठीक भी है क्योंकि बीते कुछ सालों में जिस तरह से लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला ‘मीडिया’ गोदी मीडिया बन गया है यानि मीडिया दरबारी मीडिया बन गया। गोदी मीडिया और बचा-कूचा मीडिया के हाथ पावं बांध दिए गए हैं।

जिसकी वजह से अखिलेश यादव ने टीवी देखना छोड़ दिया है, उस मीडिया के पत्रकार और माध्यम सरकारी या नेता-पार्टी विशेष भर के होकर रह गए हैं। इस मीडिया का काम ही है विपक्ष और उसके नेताओं को किसी भी तरह से नीचा दिखाना देशद्रोही या पाकिस्तान प्रस्त बताना।

ताकि जनता में उनके खिलाफ ज़हर भरा जा सके। इस गोदी मीडिया को यह नहीं मालूम की विपक्ष को मारकर वो हिंदुस्तान की विविधता का गला घोंट रहे हैं। हालात तो यहाँ तक हो गए हैं कि, जब विपक्ष का कोई नेता जैसे ही मोदी सरकार या उनकी सरकार पर कोई आरोप लगाता है तो ज्यादातर प्रमुख टीवी चैनल के एंकर, रिपोर्टर उनके खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं।

ये एंकर और चैनल बीजेपी और मोदी सरकार के ‘महाप्रवक्ता बनकर फौरन सरकार की तरफ से मैदान में उतर जाते हैं। ऐसा लगता है मानो पार्टी के प्रवक्ता यही हो गए हैं।

बता दें कि मोदी सरकार में देश में 45 साल में रोजगार सबसे न्यूनतम स्तर पर है, किसान फसलों की बर्बादी के कारण त्राहिमाम कर रहे हैं, युवा सड़कों पर लाठी खा रहे हैं। लेकिन गोदी मीडिया मोदी सरकार की दरबारी बनी हुई है।

गौरतलब है कि देश के ज़िम्मेदार लोग कई मौकों पर ये बोल चुके हैं कि, वर्तमान में उन्होंने टीवी देखना छोड़ दिया है। क्योंकि टीवी में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, किसान आदि महत्वपूर्ण मुद्दे गायब हैं। टीवी में बाकी कुछ बचा है तो वो है सरकार की भक्ति।

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