पाटीदार अमानत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी गई है। क्योंकि गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें 2015 में मेहसाणा में दंगा फैलाने का दोषी माना है। लेकिन आतंकवादी गतिविधियों में कथित रूप से लिप्त होने की वजह से 9 साल तक जेल में रहने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ रही हैं।

जनप्रतिनिधि कानून – 1951 (Representation of People’s Act) के अनुसार दोषी साबित होने की वजह से हार्दिक पटेल को लोकसभा चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिली। गुजरात सरकार ने हार्दिक पटेल की दोषसिद्धि पर स्थगन आदेश देने की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया। सरकार के वकील ने अदालत से कहा कि हार्दिक पर करीब 17 मुकदमें चल रहे हैं, इससे पता चलता है कि उनका उनका चरित्र ठीक नहीं है इसलिए उन्हें चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए। बता दें कि साल 2018 में हार्दिक को 2 साल की सजा सुनाई गई थी फिलहाल वो जमानत पर हैं।

दूसरी तरफ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर हैं। संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़ी। भगवा आतंकवाद का आरोप झेल रही। 48 साल की साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट का आरोप है। जांच एजेंसी ने इसे आतंकवादी हमला माना। प्रज्ञा ठाकुर 9 साल तक जेल में रहीं। पिछले साल बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिली। किसी भी कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बेकसूर करार नहीं दिया है। एनआईए की स्पेशल कोर्ट में अब भी प्रज्ञा ठाकुर खिलाफ ट्रायल चल रहा है।

मालेगावं ब्लास्ट के अलावा प्रज्ञा ठाकुर पर और भी कई आरोप हैं। जैसे – 2006 में हुए सुनील जोशी मर्डर, 2007 में हुए अजमेर दरगाह ब्लास्ट… बावजूद इसके साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने की इजाजत मिल चुकी हैं। प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने मध्यप्रदेश के भोपाल से उम्मीदवार घोषित किया है। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्विजय सिंह से है।

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