imran pratapgarhi
Imran Pratapgarhi

देशभर में जारी कोरोना लॉकडाउन के बीच एक बार फिर गुजरात के औद्योगिक शहर सूरत में सैकड़ों की तादाद में प्रवासी मज़दूर सड़कों पर उतरे हैं। मज़दूरों के मुताबिक़ वो सड़कों पर इसलिए उतरे हैं क्योंकि उनसे डायमंड ड्रीम सिटी में जबरन काम करवाया जा रहा है, जबकि वो अपने घर वापस जाना चाहते हैं।

प्रदर्शन के दौरान मज़दूरों ने डायमंड ड्रीम सिटी के ऑफिस पर पथराव भी किया। जिसके बाद मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया और हालात को काबू में किया गया। जब मज़दूरों से प्रदर्शन की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि डायमंड ड्रीम सिटी में लॉकडाउन के बावजूद उनसे जबरन काम करवाया जा रहा है, जबकि वो अपने घर वापस जाना चाहते हैं।

दरअसल, सूरत के खाजोद इलाके में डायमंड ड्रीम सिटी का निर्माण चल रहा है। लॉकडाउन के बाद भी यहां मजदूरों से काम करवाया जा रहा है। जबकि मजदूर वहां काम नहीं करना चाहता और अपने घर वापस जाना चाहते हैं।

मज़दूर इस बात की मांग कर रहे हैं कि उन्हें भेजने का इंतजाम किया जाए। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ा। मज़दूर वापस घर इसलिए जाना चाहते हैं क्योंकि उनके सामने राशन और खाने-पीने का संकट बना हुआ है। मजदूरों का कहना है कि सरकार की ओर से उनके लिए खाने पीने का इंतज़ाम नहीं किया जा रहा। इसलिए वो सूरत में रुककर भूखे नहीं मारना चाहते।

ये पहली बार नहीं है जब सूरत में प्रवासी मज़दूर सड़कों पर उतरे हैं। इससे पहले दो बार और मज़दूर प्रदर्शन कर चुके हैं। इसी महीने के दूसरे हफ्ते में सैकड़ों कपड़ा मज़दूरों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया था। मज़दूरों का आरोप था कि सूरत प्रशासन उनकी देखरेख करने और खाना मुहैया कराने में फेल साबित हुआ है और लॉकडाउन की वजह से उनकी हालत भुखमरी जैसी हो गई है।

सूरत में मज़दूर लगातार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकीन मीडिया में इसे कोई खास कवरेज नहीं मिल रही है। इससे पहले जब मुंबई में मज़दूर सड़कों पर उतरे थे तब तमाम न्यूज़ चैनलों ने इस खबर को प्रमुखता से चलाया था। मीडिया पर ये आरोप लगाए जा रहे हैं कि वो सूरत की खबर को प्रमुखता से इसलिए नहीं दिखा रहा क्योंकि जहां मज़दूरों ने प्रदर्शन किया उसके आसपास मुंबई की तरह कोई मस्जिद नहीं है।

जाने माने शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने मीडिया पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर लिखा, “यहॉं तो आसपास कोई मस्जिद भी नहीं, अब इल्ज़ाम किसके सर डाला जायेगा।”

बता दें कि इससे पहले 14 अप्रैल को मुंबई के बांद्रा इलाके में प्रवासी मज़दूरों इकट्ठा हुए थे। ये मज़दूर इसलिए बांद्रा के एक स्टेशन के पास इसलिए इकठ्ठा हुए थे क्योंकि ये अपने अपने राज्य वापस जाना चाहते थे। लेकीन वो जिस जगह इकठ्ठा हुए थे वहां करीब में एक मस्जिद थी। जिसके बाद मज़दूरों के इकठ्ठा होने को मीडिया ने मस्जिद की साजिश बता दिया था।

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