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रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। कुछ ऐसी ही अपेक्षा भारत से भी की जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस से और तेल न आयात करने की नसीहत दी है। इस सबके बावजूद भारत सरकार ने साफ़ कर दिया कि वह इस युद्ध को लेकर ‘न्यूट्रल’ रहेगी।
दरअसल, अमेरिका और भारत के बीच 2+2 वार्ता हो रही है। इसमें विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी शामिल हैं। इस वार्ता में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा गया कि आखिर अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से तेल क्यों आयत कर रहा है?
जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, “अगर आप रूस से खरीदी जा रही ऊर्जा के बारे में बोल रहे हैं, तो आपको यूरोप पर भी ध्यान देना चाहिए। हम ज़रूर कुछ ऊर्जा खरीदते हैं जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवयशक है। लेकिन आंकड़ों को देखकर लगता है कि जितना तेल हम एक महीने में खरीदते हैं, उतना यूरोपीय देश एक दिन के दोपहर तक में खरीद लेते हैं। तो आप इसके बारे में सोचना चाहेंगे।”
Straight talk by EAM @DrSJaishankar on India’s energy purchase from Russia
“Europe buys more in an afternoon than India does in a month” pic.twitter.com/Zmq3rzLynS
— 🦏 Payal M/પાયલ મેહતા/ पायल मेहता/ পাযেল মেহতা (@payalmehta100) April 12, 2022
अमेरिका बार-बार भारत पर रूस से व्यापार के संबंध पर रोक लगाने का दबाव बना रहा है। लेकिन अभी तक भारत ने इस दबाव में आकर ना तो कोई बयान दिया है और ना ही कोई कदम उठाया है। आपको बता दें, रूस और यूक्रेन के बीच जो तनाव बना हुआ है उसमें अमेरिका का निजी फायदा छुपा हुआ है।
‘शीत युद्ध’ की रणनीति को दोहराते हुए अमेरिका कोशिश कर रहा है कि रूस को दुनिया से अलग-थलग कर दिया जाए। यूक्रेन को नेटो में शामिल करने की कोशिश भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। किसी भी देश द्वारा दूसरे देश पर हमला करना अपराध है। ये विध्वंसक भी है, बल्कि अनैतिक भी है।
लेकिन नेटो का इस्तेमाल कर रूस को अलग करने की कोशिश करना, रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ाना, दुनिया के अन्य देशों को रूस के खिलाफ कदम उठाने पर मजबूर करना भी, कोई नैतिक काम नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को समझने पर पता चलता है अमेरिका तमाम विवादों को शांत कराने की कोशिश के बजाए खुद ही विवाद को बढ़ावा देता है।