योगगुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजली द्वारा कोरोना के ईलाज के लिए बनाई गई कोरोनिल का समर्थन करना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को भारी पड़ता नज़र आ रहा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा है।
दरअसल, बाबा रामदेव ने हाल ही में कोरोनिल को रिलॉन्च किया है। इसे रिलॉन्च करते हुए रामदेव ने दावा किया था कि उनकी दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने प्रमाणित किया है और इसे 150 देशों में बेचने की मंज़ूरी दे दी है।
रामदेव के इस दावे के बाद WHO ने ख़ुद एक बयान जारी कर इस बात की पुष्टी की थी कि उसने इस तरह की कोई मंज़ूरी नहीं दी है। यानी रामदेव ने दवा को लेकर जो दावा किया वो ग़लत था।
जब रामदेव ने दवा को रिलॉन्च किया तो उस वक्त उनके साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मंच पर मौजूद थे। इन दोनों ने रामदेव की दवा का समर्थन किया था।
इसपर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ऐतराज़ जताया है। एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा है कि वो एक ऐसी दवा का समर्थन कैसे कर सकते हैं, जिसको लेकर झूठे दावे किए जा रहे हैं।
सोमवार को एसोसिएशन की ओर से जारी एक बयान में इसे देश का अपमान बताते हुए कहा गया, ‘देश का स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है।
क्या आप इस कोरोना रोधी उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल की समयसीमा बता सकते हैं?’
एसोसिएशन ने कहा, ‘देश मंत्री से स्पष्टीकरण चाहता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को स्वतः संज्ञान लेने के लिए भी पत्र लिखेगा। यह भारतीय चिकित्सा परिषद के नियमों का उल्लंघन है।’
एसोसिएशन ने आगे कहा, ‘डब्ल्यूएचओ से प्रमाणन की सरासर झूठी बात पर गौर करके इंडियन मेडिकल एसोसिशन स्तब्ध है।’
एसोसिएशन ने यहां पतंजलि के कार्यक्रम में एक चिकित्सक व स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उपस्थिति के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की नैतिकता पर भी सवाल उठाए।
एसोसिएशन ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (तत्कालीन एमसीआई) के तहत एक अनुच्छेद का उल्लेख किया जो एक चिकित्सक को किसी दवा को प्रमोट करने की अनुमति नहीं देता है।