केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत की गिरती अर्थव्यवस्था पर इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने चिंता जाहिर की है। नारायण मूर्ति का कहना है कि इस वित्त वर्ष में देश की जीडीपी सन 1947 यानी की आजादी के बाद से सबसे कम हो सकती है।

इस मामले पर देश की सरकार को आगाह करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा है कि भारत की जीडीपी कम से कम 5 से 10 फ़ीसदी कम होने की उम्मीद है।

बेंगलुरु के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के ‘इंडिया डिजिटल कन्वर्सेशन के 16वें संस्करण के तहत आयोजित की गई एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में नारायणमूर्ति ने ऐसी एक नई प्रणाली विकसित करने पर भी जोर दिया, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में प्रत्येक कारोबारी को पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति हो।

उन्होंने कहा कि वैश्विक जीडीपी काफी नीचे जा चुकी है और वैश्विक व्यापार डूब रहा है। कोरोना काल में वैश्विक यात्रा भी नदारद हो चुकी है। ऐसे में वैश्विक जीडीपी में 5 से 10 फ़ीसदी की गिरावट होने की आशंका है।

इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना महासंकट की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगने के पहले दिन से ही उनका यह विचार रहा है कि देश के लोगों को कोरोना वायरस के साथ ही जीवन जीने के लिए तैयार होना होगा।

जिसके तीन कारण हैं पहला यह कि इस वायरस की कोई दवा नहीं है, दूसरा कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है और तीसरा अर्थव्यवस्था को रोका नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने में लंबा वक्त लग सकता है। ऐसी स्थिति में हम अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकते। अब तक 14 करोड़ कर्मचारी इस वायरस की वजह से प्रभावित हो चुके हैं।

मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए नारायण मूर्ति ने एक नई प्रणाली विकसित करने पर भी जोर दिया है। उनका कहना है कि दोबारा स्थिति को सामान्य करने के लिए हमें एक स्वास्थ्य ढांचा खड़ा करना होगा ताकि कोरोना वैक्सीन तैयार हो जाने के बाद हर व्यक्ति तक ये पहुंच पाए।

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