इसी साल दिल्ली में हुई हिंसा में यूएपीए कानून के तहत छात्र नेता गुलफिशा फातिमा को भी गिरफ्तार किया गया। इस मामले में गुलफिशा तिहाड़ जेल में बंद है।
खबर सामने आ रही है कि दिल्ली की एक कोर्ट में गुलफिशा ने यह आरोप लगाया है कि उसे जेल में मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि जेल अधिकारी उसके खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणियां करते हैं।
आपको बता दें कि गुलफिशा को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष समक्ष पेश किया गया। जहाँ पर उन्होंने जेल अधिकारियों पर ये आरोप लगाए हैं।
इस दौरान गुलफिशा ने कहा कि जेल में भी उसके साथ भेदभाव किया जा रहा है। जब से मैं यहां पर लाई गई हूं मैं लगातार जेल कर्मियों द्वारा किए जाने वाले भेदभाव का सामना कर रही हूं। वह लोग मुझे शिक्षित आतंकवादी कहते हैं और मुझ पर सांप्रदायिक टिप्पणियां भी करते हैं। जेल के अंदर रहकर मैं मानसिक प्रताड़ना का सामना कर रही हूं।
इस वजह से अगर मैं खुद को कोई भी नुकसान पहुंचाती हूं तो जेल अधिकारी ही इसके जिम्मेदार होंगे। इस मामले में गुलफिशा की दलील पर न्यायाधीश ने उसके वकील को एक अर्जी दायर करने को कहा।
इस पर गुलफिशा के वकील महमूद प्राचा का कहना है कि वह जल्द ही इससे जुड़े जरूरी कदम उठाएंगे। इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख निर्धारित कर दी।
आपको बता दें कि स्पेशल सेल ने गत नौ अप्रैल को गुलफिशा को दंगे के आरोप में गिरफ्तार था।
आरोप है कि 22 फरवरी को गुलफिशा ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क जाम करके सीएए के विरोध में लोगों को उकसाने वाला भाषण दिया था। लेकिन हिंसा और दंगों के आरोपी कुछ भाजपा नेता खुलेआम घूम रहे हैं।