राज्यसभा में किसान विरोधी कृषि बिल पास होने के विरोध में सभापति वेंकैया नायडू द्वारा निलंबित किए गए सांसदों ने रात भर संसद परिसर में बैठ कर धरना दिया। निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने इस निलंबन को सरकार की तानाशाही करार दिया है।
इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने उपसभापति को इस काले कानून के पास होने का जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि “उपसभापति जी सुबह धरना स्थल पर मिलने आये। हमने उनसे भी कहा “नियम क़ानून संविधान को ताक़ पर रखकर किसान विरोधी काला क़ानून बिना वोटिंग के पास किया गया जबकि BJP अल्पमत में थी और आप भी इसके लिये ज़िम्मेदार हैं”
इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने संजय सिंह का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि संजय सिंह समेत आठ सांसद रात भर संसद परिसर में देश के किसानों के लिए संघर्ष करते रहे। वे अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे।
वह जनतंत्र और संविधान के लिए लड़ रहे हैं। देश के किसान भी यह कह रहे हैं कि यह नया कानून किसानों को खत्म करके रख देगा।
इतने खतरनाक कानून को बिना वोटिंग के ही संसद से पास घोषित कर दिया गया है। ऐसे में संसद होने का क्या मतलब है ? देश में चुनाव प्रक्रिया का क्या मतलब है। अगर इसी तरह से कानून पास करवाने हैं तो संसद में सत्र ही क्यों बुलाए जाते हैं।
वहीं इस मामले में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि “अंग्रेज हुकूमत ऐसे ही चलाते थे। भारत के किसानों मजदूरों और व्यापारियों पर जुल्म हुआ करते थे। उनके ख़िलाफ़ काले क़ानून बनाते थे ताकि और जुल्म कर सकें। फिर जब गांधी जी या अन्य नेता उनसे मिलते थे तो चाय भी पिलाते थे। हमारे हुक्मरान आज भी उसी अंग्रेज़ी अन्दाज़ में सरकार चला रहे हैं।”
अंग्रेज हुकूमत ऐसे ही चलाते थे- भारत के आम किसान-मज़दूरों व व्यापारियों पर जुर्म करते थे. उनके ख़िलाफ़ काले क़ानून बनाते थे ताकि और जुर्म कर सकें.
फिर जब गांधी जी या अन्य नेता उनसे मिलते थे तो चाय भी पिलाते थे. हमारे हुक्मरान आज भी उसी अंग्रेज़ी अन्दाज़ में सरकार चला रहे हैं. https://t.co/uKjdAD7IXd
— Manish Sisodia (@msisodia) September 22, 2020