नागरिकता संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो गया और राष्ट्रपति की भी इसपर मुहर लग चुकी है। जिसको लेकर देशभर में इसका विरोध चल रहा है। वहीं इस बिल के पास होने पर देश के उत्तरपूर्व के राज्यों में खासकर असम में इसका पुरजोर तरीक़े से विरोध किया जा रहा है। जहां लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहें हैं। वहीं असम में कल प्रदर्शन कर रहे दो लोगों की गोली लगने से मौत भी हो चुकी है।
बता दें की इस बिल के जेडीयू के समर्थन के बाद पार्टी के नेता इस बिल के समर्थन करने पर खुश नहीं है। जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इस बिल का विरोध किया है।
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किशोर ने ट्वीट कर कहा- ‘संसद में बहुमत कायम रहा। अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी 16 राज्यों के गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों की है। क्योंकि ये ऐसे राज्य हैं जहां इस बिल को लागू करना है। तीन मुख्यमंत्रियों पंजाब, केरल और पंजाब ने सीएबी और एनआरसी को नकार दिया है। अब समय आ गया है कि दूसरे गैर-भाजपा राज्य के मुख्यमंत्री अपना रुख स्पष्ट करें’
The majority prevailed in Parliament. Now beyond judiciary, the task of saving the soul of India is on 16 Non-BJP CMs as it is the states who have to operationalise these acts.
3 CMs (Punjab/Kerala/WB) have said NO to #CAB and #NRC. Time for others to make their stand clear.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 13, 2019
इससे पहले भी प्रशांत किशोर ने लोकसभा और फिर राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल का जदयू के समर्थन करने पर विरोध जताया था। प्रशांत ने कहा था कि ‘इस बिल का समर्थन निराशाजनक है, जो धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह जदयू के संविधान से मेल नहीं खाता, जिसके पहले पन्ने पर ही तीन बार धर्मनिरपेक्ष लिखा है’।
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उन्होंने 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू को मिले जनसमर्थन को भी याद दिलाया था। वहीं इस बिल के पार्टी का समर्थन पर जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा ने भी खुले तौर पर जदयू के लोकसभा में विधेयक के पक्ष में मतदान करने पर निराशा व्यक्त किया है।
और नीतीश कुमार से इस बिल पर फिर से विचार करने को कहा है। बता दें की इस नागरिक संशोधन बिल के समर्थन पर बिहार में विपक्षी पार्टियों द्वारा भी नीतीश कुमार की काफी आलोचनाएं हो रही हैं।