भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी करने वाली एक संस्था ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, रिपोर्ट में बताया गया था कि, देश में साल 2018 में 1 करोड़ 10 लाख लोगों की नौकरियाँ चली गईं। इनमें से क़रीब 96 लाख नौकरियाँ ग्रामीण इलाक़ों की गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले तीन साल से देश में नौकरियाँ घट रही हैं।

यानी जिस देश की क़रीब 60 फ़ीसदी आबादी युवा है उस देश में युवाओं के लिए रोज़गार दिन-ब-दिन ख़त्म हो रहे हैं। भले ही नरेंद्र मोदी ये कहकर चुनाव जीत गए थे कि वो पीएम बनेंगे तो हर साल 2 करोड़ नौकरियाँ पैदा की जाएँगी।

अब वो इस सवाल से बचते हैं। जो लोग नौकरियों की बात करते हैं उनसे चिढ़ते हैं। नौकरियाँ ही क्यों पीएम मोदी हर बात से चिढ़ते हैं। सच तो ये है कि सवाल उन्हें पसंद ही नहीं।… जब-जब कहीं से सवाल उठने लगे हैं उनकी सरकार ने सवाल करने वाली आवाज़ को दबाने की कोशिश की है।

उमर, ख़ालिद, कन्हैया को ही ले लीजिए… ये लोग लगातार देश में बेरोज़गारी, मज़हबी ताने-बाने को लेकर मोदी सरकार को घेरते रहे हैं।… लोकिन अब दिल्ली पुलिस ने 3 साल पुराने जेएनयू के कथित देशद्रोह वाले नारे के केस में कन्हैया, उमर, अनिर्बान समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की है।

लेकिन, पुलिस को चार्जशीट दायर करने में 3 साल का लम्बा वक़्त क्यों लगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। शायद चुनाव से ऐन पहले मोदी सरकार फिर से देशद्रोह v/s देशभक्ति का माहौल बनाना चाहती है।

लेकिन वो ये भूल गई है कि, अब माहौल उस तरह का नहीं है। अब देशभक्ति के नाम पर ऐसी हवा बनाई नहीं जा सकती जैसी 2014 के वक़्त बनाई गई थी।… अब लोग सवाल पूछेंगे मोदी जी

विधायक और युवा नेता जिग्नेश मेवाणी लिखते हैं कि-

भारत में 35 साल से कम उम्र के नौजवानों की तादात है 60 करोड। इस युवा वर्ग को चाहिए रोजगार। जिस की बात करनेवालो में आगे है – उमर ख़ालिद, कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल, शेहला राशिद, अखिल गोगोई जैसे साथी। इन साथियों से सब से ज्यादा दिक्कत है भाजपा को। और इसीलिए होता है चार्जशीट

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