कथित एंटी इंडियन स्लोगन लगाने के 3 साल पुराने मामले को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा कोर्ट में दायर चार्जशीट पर देश की सबसे बड़ी अदालत के जज रहे जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपनी राय ज़ाहिर की है। क़ानून के महाज्ञानी और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज काटजू ने पुलिस द्वारा दर्ज चार्जशीट को ग़ैरक़ानूनी बताया है।
जस्टिस काटजू ने लिखा-
“जेएनयू के छात्रों के ख़िलाफ़ दर्ज की गई चार्जशीट ग़ैरक़ानूनी है।
दिल्ली पुलिस ने साल 2016 में जेएनयू में हो रहे एक कार्यक्रम के दौरान कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और दूसरों पर भारत विरोधी नारे लगाने, या भीड़ को ऐसे नारे लगाने के लिए उकसाने के आरोप में चार्जशीट दाख़िल की है।
लेकिन क्या ये जुर्म है? मेरी राय में ये जुर्म नहीं है क्योंकि आर्टिकल 19(1)(a) के तहत सबको अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार मिला हुआ है।
1969 के ब्रैनडनबर्ग v/s ओहिये केस में यूएस की सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, संविधान ये गारंटी देता है कि फ़्री स्पीच पर राज्य(सरकारें) पाबंदी नहीं लगा सकता। ना ही फ़्री स्पीच पर क़ानूनी कार्रवाई की जा सकती है। कुछ मामलों को छोड़कर जैसे किसी अराजक कार्रवाई को उकसाने की वकालत करना।… आदि
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने ये पैमाना अपने तीन फ़ैसलों में इस्तेमाल किया जो-
अरूप भुयान v/s असम राज्य
श्रीइंदरा v/s असम राज्य
आंध्र प्रदेश v/s पी लक्ष्मीदेवी हैं
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इस्तेमाल किया इसलिए ये इंडिया में क़ानून की हैसियत रखता है।
इसलिए एंटीनेशनल स्लोगन लगाना, लगाने के लिए उकसाना क़ानूनी कार्रवाई का ज़रिया नहीं बन सकता
इस आधार पर ये चार्जीशीट रिजेक्ट होनी चाहिए”
Charge sheets against JNU students are illegal. @kanhaiyakumar @UmarKhalidJNU pic.twitter.com/0RHCyWZFir
— Markandey Katju (@mkatju) January 14, 2019
ग़ौरतलब है कि 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने 3 साल पुराने जेएनयू के मामले में कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद समेत 10 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर