दिल्ली में कोरोना के तीसरी लहर की आशंका गहराने लगी है। 16 दिसंबर, 2021 को 85 नए संक्रमितों के मिलते ही संक्रमण दर 0.15% पहुंच गई है। आज खबर लिखे जाने तक 12 और लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट के संकट के बीच दिल्ली के लगभग सभी बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स हड़ताल चले गए हैं।

आज से शुरू हुए इस अनिश्चितकालीन हड़ताल में जीटीबी, लेडी हार्डिंग, सफदरजंग, आरएमएल, एलएनजेपी जैसे प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर भी शामिल हैं। Delhi govt hospitals

दिल्ली हुआ बदहाल

चिकित्सकों की हड़ताल के बाद से दिल्ली के अस्पतालों की हालत बद से बदतर हो गई है। मरीज अस्पताल की चौखट पर मरने को मजबूर हो रहे हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य से जुड़ी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार हेमंत राजौरा लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं।

हमेंत की माने तो दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में लगातार ऐसे गरीब मरीज पहुंच रहे हैं जिन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है, लेकिन ज्यादातर को चिकित्सकों की हड़ताल के कारण उपचार नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अस्पतालों के बाहर का दृश्य हृदय विदारक हो चुका है। अभी आज दिन में ही उत्तर प्रदेश के संभल से आयी कैंसर पीड़ित एक महिला को दिल्ली के एलएनजेपी और जीपी पंत अस्पताल ने भर्ती लेने से मना कर दिया है। कैंसर पीड़ित इस महिला के पेट में संक्रमण हो चुका है और टीएलसी काउंट 21 हजार तक पहुंच गया है। अब परिजन परेशान हैं कि मरीज को कहां लेकर जाएं?

ऐसे ही एक और मरीज को हड़ताल का हवाला देकर लोकनायक अस्पताल में भर्ती ना लेते हुए आगरा रेफर कर दिया गया है।

हमेंत ने लोकनायक अस्पताल के बाहर 15 दिन से भटक रहे ऐसे ही एक और गरीब मरीज़ की दास्तान साझा की है। किडनी की बीमारी से तड़प रहा एक मरीज और उसका परिवार 15 दिन से अस्पताल के बाहर भटक रहा है, लेकिन हड़ताल के कारण इलाज से वंचित है।

मरीज़ का कहना है कि, 15 दिन से दिल्ली में इलाज के लिए भटक रहे हैं। अस्पताल में या यहीं बाहर सो लेते हैं। कोई कुछ खाने को दे देता है तो खा लेते हैं।

इसी तरह आज एक पोता अपने दादा को लेकर घंटों लोकनायक अस्पताल के बाहर बैठा रहा लेकिन भर्ती नहीं लिया गया। हमेंत ने लिखा है, ‘‘अपने दादा को कई घंटों से लोकनायक अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर बैठाकर रखा था। लेकिन तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल के बाहर ही अपनी गोद में लिटा लिया”

क्या है हड़ताल की वजह ?

पूरा मामला नीट पीजी काउंसलिंग से जुड़ा है। डॉक्टर्स की मांग है कि 42 हजार नए चिकित्सकों की काउंसलिंग की तारीख जल्द से जल्द घोषित की जाए। वर्क फोर्स को बढ़ाया जाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेजिंडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की प्रतिनिधि शफात अहमद का कहना है, हमें 60-60 घंटे तक काम करना पड़ता है वो भी बिना सोए हुए। हम पर बहुत प्रेशर डाला जा रहा है और क्यों डाला जा रहा है, यह हमें समझ नहीं आ रहा है। हमें काउंसलिंग की डेट चाहिए और जो नए डॉक्टर्स का बैच है वह जल्द से जल्द हमारी वर्क फोर्स ज्वाइन करे।

बता दें कि गत 6 दिसंबर को भी दिल्ली के अस्पतालों ने हड़ताल शुरू की थी। लेकिन तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के जरिए डॉक्टर्स से कुछ दिन का समय मांगा था।

मीडिया कहां है?

फिलहाल स्वघोषित मेनस्ट्रीम मीडिया से मुद्दा गायब है। ज्यादातर टीवी चैनल आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के गुणा-भाग में जुटे हुए हैं। ऐसे में अस्पतालों के बाहर से लगातार रिपोर्ट कर रहे हेमंत राजौरा का कहना है कि, डियर नोएडा मीडिया, मेरी बात याद रखना। अगर रेजिंडेंट डॉक्टर्स और मरीजों के मुद्दे को हाइलाइट नहीं किया तो पूरे देश का हेल्थ सिस्टम ढह जाएगा। आज गरीब आदमी मर रहा है, कल को आपको भी इलाज नहीं मिलेगा।

 

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