Make In India
Make In India
श्याम मीरा सिंह 

हफिंगटन पोस्ट नाम की एक अंग्रेजी वेबसाइट ने मेक इन इंडिया के लोगो को लेकर, साल 2016 में एक रिपोर्ट की थी, रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के एक एक्टिविस्ट चन्द्र शेखर गौर ने एक आरटीआई डाली, RTI में सवाल पूछा कि Make In India का Logo किसने बनाया है?

जबाव आया कि स्पेशल Logo के लिए तो कोई टेंडर नहीं दिया गया था। लेकिन Make In India के कैंपेन और डिजाइनिंग के लिए जरूर एक कम्पनी हायर की थी कम्पनी का नाम था “Wieden+Kennedy India Limited”

इसी कम्पनी ने Make In India का Logo तैयार किया था। दरअसल इस कम्पनी की इंडिया में जो सहायक कम्पनी है (सादा भाषा में कहूँ तो समझिए भारत में इसकी एक ब्रांच है) जिसकी ऑफिस दिल्ली के साकेत में है। सेंट्रल कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने इसी फर्म को 11 करोड़ रुपए में तीन साल के लिए हायर किया था। ताकि मेक इन इंडिया की ब्रांडिंग और डिजाइनिंग की जा सके।

बताइए मेक इन इंडिया की ब्रांडिंग भी विदेशी कम्पनी की मदद से की जा रही है। हहहहहह। इससे अधिक हंसी वाली बात क्या होगी, खासकर तब जब पूरी की पूरी कौम स्वदेशी, देशी, विदेशी वाले व्हाट्सएप मैसेज फॉरवर्ड करने में पिली हुई हो।
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इसके अलावा प्रधानमंत्री के “लोकल के लिए वोकल” वाली बात तो इसी एक तथ्य से फुस्स हो जाती है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी इमेज को वोकल बनाने के लिए भी लोकल का इस्तेमाल नहीं किया। ये कितना हास्यास्पद है कि प्रधानमंत्री ने अपनी इमेज की ब्रांडिंग करने के लिए भी एक विदेशी पीआर एजेंसी हायर की थी। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और दिल्ली की गद्दी पर नजर जमा रहे थे तब उन्हें महसूस हुआ कि गुजरात दंगों वाली इमेज उनकी इमेज से गुंथ गई है। जब भी मोदी का जिक्र आता है तो गुजरात दंगे का जिक्र भी आता है। इसका एक उदाहरण ये है कि अमेरिका ने भी भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था। अपनी नेशनल और इंटरनेशनल इमेज से परेशान मोदी ने एक अमेरिकी पीआर लॉबी कम्पनी APCO Worldwide को हायर किया। ताकि देश विदेश में मोदी की इमेज को बदला जाए।

आप सभी ने “वाइब्रैंट गुजरात” का नाम तो सुना ही होगा, जो गुजरात राज्य में इन्वेस्टमेंट करने के लिए विदेशी, देशी इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के लिए हुआ करता था। इसके पीछे मोदी की ब्रांडिंग करना ही एक मुख्य उद्देश्य थे। चूंकि मोदी के साथ दंगाई, हत्यारे, हिन्दूवादी वाली इमेज जुड़ गई थी, मोदी इसे हटाने के लिए खुद को “बिजनेस, कारोबार, इन्वेस्टमेंट” वाले एक नेता के रूप में दिखाना चाहते थे। इस वाइब्रेंट गुजरात के पीछे भी APCO Worldwide कम्पनी का ही हाथ था। APCO World Wide कम्पनी, अमेरिकी कम्पनी है, जिसका मुख्यालय वाशिंगटन में है। मोदी और APCO world wide को लेकर एक अंग्रेजी वेबसाइट Economic Times ने डिटेल्ड स्टोरी की है, अंग्रेजी आती है तो जाकर स्वयं पढ़ सकते हैं। नीचे लिंक दे रहा हूँ।

बाकी आप सब देश के लिए टिकटोक uninstall करते रहिए, चाइनीज झालर, फुलझड़ी, पटाखों का विरोध करिए। ताकि लोकल के लिए वोकल हुआ जा सके, क्योंकि ऐसा मोदी जी ने कहा है। इससे क्या क्या फायदा होगा ये तो आपने व्हाट्सएप पर पढ़ ही लिया होगा

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