भारत में पत्रकारों की हत्या हमले, हमले, धमकियों के मामले में भारत दुनियाभर के टॉप 5 में शामिल है. Reporters without Borders की सालाना रिपोर्ट में इसका ज़िक्र किया गया है। इसके अलावा भारत में पत्रकारिता और उस पर दक्षिणपंथी समूहों के डर की छाया पर भी विस्तार से रिपोर्ट में बात की गई है।

साथ ही दुनिया प्रेस की आज़ादी के मामले में भारत 138वे नम्बर पर है। भारत में प्रेस की ये बदहाली क्यों है और यहाँ पत्रकार डर के साए में क्यों जीता है इसको समझने के लिए ये काफ़ी है कि पीएम मोदी और मणिपुर के सीएम की आलोचना करने पर मणिपुर के ही एक पत्रकार पर किस तरह एनएसए लगा दिया गया।

पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बताकर उसे 18 दिसम्बर को एक साल हिरासत में रहने की सज़ा सुनाई दी गई।

जानें पूरा घटनाक्रम-

पत्रकार किशोर चंद्र पर आरोप है कि 19 नवम्बर को उन्होंने अपने फ़ेसबुक पर एक वीडियो अपलोड कर रानी लक्ष्मीबाई जयंती मनाए जाने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की थी। वीडियो में कहा गया था कि, ‘मैं दुखी और हैरान हूँ कि, मणिपुर की सरकार रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मना रही है। मुख्यमंत्री ये दावा करते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई का पूरे देश को एकसूत्र में पिरोने में अहम योगदान था। लेकिन, मणिपुर के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया।’

उन्होंने राज्य सरकार पर ये आरोप लगाया था कि राज्य की बीजेपी सरकार उनकी जयंती सिर्फ़ इसलिए मना रही है क्योंकि केंद्र सरकार ने ऐसा करने को कहा है। उन्होंने इसे राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया और हिंदुत्व की कठपुतली बताते हुए पीएम मोदी और राज्य के सीएम बीरेन सिंह पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।

कोर्ट ने कहा नहीं है राजद्रोह, फिर भी NSA के तहत हुई गिरफ़्तारी-

मामले में पत्रकार किशोर वांगखेम को पहले 20 नवम्बर को एनएसए के तहत गिरफ़्तार किया गया। बाद में 26 नवम्बर को सीजीएम कोर्ट (वेस्ट इंफाल) ने उन्हें 70 हज़ार के मुचलके पर ज़मानत दे दी। ज़मानत के वक़्त कोर्ट ने कहा कि, पत्रकार की भारत के पीएम और मणिपुर के सीएम पर टिप्पणी अभिव्यक्ति की आज़ादी थी। इसे राजद्रोह नहीं कहा जा सकता।

ज़मानत के अगले ही दिन उन्हें फिर से एनएसए के तहत गिरफ़्तार करके जेल भेज दिया गया। इस बार ज़िला न्यायाधीश (वेस्ट इंफाल) ने कहा कि अगले आदेश तक पत्रकार को एनएसए 1980 की धारा 3(2) के तहत हिरासत में रखना चाहिए। फिर नए आदेश जारी कर के उन्होंने कहा कि 12 महीनों तक पत्रकार को हिरासत में रखना होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here