इजरायली कंपनी NSO के स्पाइवेयर पेगासस का शिकार पत्रकारों की लिस्ट में पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी भी शामिल हैं। इसकी पुष्टि करते हुए उन्होंने आज एक बयान दिया है।
स्वाति ने पीएमओ इंडियो को टैग करते हुए कहा है कि “प्रिय पीएमओ, आप भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा हैं. आपने दो साल तक मेरे फोन का अपहरण किया और अवैध रुप से उसका सर्वेक्षण किया.
आपने मेरी निजता पर भयानक तरीके से हमला किया. स्वाति ने पीएमओ को कहा कि तुम कायर बने रहो, मैं अपनी खोजी पत्रकारिता करती रहूंगी.”
Dear @PMOIndia you are a danger fo Indian democracy. You hijacked & illegally surveilled my phone for two years. Invaded my privacy in a horrific way but you don’t scare. I will continue to do my investigative journalism. You keep being a coward
— Swati Chaturvedi (@bainjal) July 19, 2021
मालूम हो कि देश में इजरायल के खुफिया साॅफ्टवेयर पेगासस स्पाइवेयर के जरिए भारत में कई बड़े विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, कारोबारियों, सूचना का अधिकार, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैंकिंग करने का खुलासा हुआ है।
इस मामले को लेकर विपक्ष केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राुहल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हमें पता है कि वो लोग यानी सरकार क्या पढ़ रहे हैं. वह वही पढ़ रहे हैं जो भी आपके फोन में है।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तो बेहद तीखे अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर लपेट दिया।
किसानों को आंदोलनजीवी कहने वाले मोदी को सुरजेवाला ने टैपिंगजीवी कह दिया और कहा कि “टैपिंगजीवी जी, अब आप राजनीतिक विरोधियों के साथ साथ पत्रकार, जज, उद्योगपति, खुद के मंत्रियों और आरएसएस की लीडरशिप को नहीं बख्शा.”
सुरजेवाला ने कहा कि अबकी बार जासूस सरकार. सुरजेवाला ने केंद्र सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि साहेब देश पूछता है कि आप रोजाना 18 घंटे काम करते हो तो दूसरों के फोन की जासूसी में कितना समय बीताते हो !
देश भर के कई मीडिया संगठनों ने इस बाबत खोज बीन की तो पता चला कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा भारत के स्वतंत्र एवं खोजी पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडियो संस्थानों को निशाना बनाया गया है।
समीक्षा के अनुसार वर्ष 2017 से लेकर 2019 के बीच एक भारतीय एजंेसी 40 से अधिक पत्रकारों पर निगरानी रख रही थी।