देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए मोदी सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। विपक्षी दलों और सोशल मीडिया पर यही सवाल उठ रहे हैं कि बीते साल आई कोरोना महामारी के बाद मोदी सरकार ने इससे लड़ने के लिए कौन से कदम उठाए हैं?

मोदी सरकार के इस कुप्रबंधन की वजह से आज लोग डर के साए में जीने को मजबूर हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण की मार से किसी भी वर्ग का इंसान बच नहीं पा रहा है।

सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां करते हुए पत्रकार नवीन कुमार ने एक वीडियो शेयर की है।

वीडियो में पत्रकार नवीन कुमार कह रहे हैं कि यहां कोई प्रधानमंत्री नहीं है, ना ही कोई व्यवस्था है। सबको अपने अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।

मैंने इससे पहले बीते 40-45 सालों में डॉक्टरों को कभी भी बिलखते हुए रोते नहीं देखा है। जिस भी डॉक्टर से बात की गई है।

उनका कहना है कि हमें मेडिकल प्रोफेशन से चिढ़ हो गई है। इस दिन के लिए हम इस पेशे में नहीं आए थे। ऑक्सीजन के बिना मरीजों को तड़प तड़प के मरते हुए देखना डॉक्टरों की भी नींद उड़ा रहा है।

उनका कहना है कि मुझे ऐसा लगता है कि आज से साल बाद हमारे देश के डॉक्टर कई तरह की मानसिक बीमारियों से लड़ रहे होंगे। जिस तरह से वह इतनी मौतें देख रहे हैं और असहाय महसूस कर रहे हैं।

इसके बाद जिस ट्रामा में वह जाएंगे इसका अंदाजा हम नहीं लगा सकते। इस देश को नर्क बना दिया गया है। हमें इस तरह से बेचारा बना कर छोड़ दिया गया है कि हमारी कोई अहमियत नहीं है।

मुझे नहीं पता कि आने वाले वक्त में मैं रहूंगा या नहीं रहूंगा। लेकिन जो लोग भी रहेंगे वह सोचेंगे कि इस दुनिया को और बेहतर होना चाहिए।

वे लोग यह जरूर सोचेंगे कि हमें अपनी आने वाली नस्लों के लिए मंदिर और मस्जिद के झगड़ों से ऊपर उठना चाहिए। उन्हें यह सोचना चाहिए कि इस देश को अच्छे अस्पतालों, स्कूलों और मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है।

पत्रकार उमाशंकर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि कोरोना से लड़ाई लड़ने वाले @navinjournalist जो बयां कर रहे हैं वो सुनिए और गांठ बांध लीजिए…

अपने लिए नहीं तो हमारी आने वाली नस्लों के लिए… ताकि कम से कम उनको इतना असहाय और बेबस महसूस न करना पड़े। सौगंध खाइए।

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