भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर की वजह से बहुत से लोग बीमार पड़ रहे हैं, और बहुतों की मौत हो रही है। इसके दो कारण है- कोरोना का नया, ज़्यादा घातक म्युटेंट स्ट्रेन और सरकार की लापरवाही।

भारतीय सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिकों के एक पैनल का कहना है कि उसने मार्च की शुरुआत में ही खतरनाक, नए और घातक कोरोना वायरस वैरिएंट की चेतावनी केंद्र को दे दी थी। लेकिन सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया, और कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

अंतराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ‘रॉयटर्स’ में छपी खबर के अनुसार, भारतीय वैज्ञानिकों के एक पैनल ने अधिकारियों को मार्च की शुरुआत में एक नए और अधिक तेज़ी से फैलने वाले कोरोना वायरस की जानकारी दी थी।

पैनल के चार वैज्ञानिकों का दावा है कि चेतावनी के बावजूद केंद्र सरकार ने वायरस को रोकने के लिए कोई ठोस प्रतिबन्ध नहीं लगाए।

इस सबके बाद भी लाखों लोग बिना मास्क के धार्मिक उत्सवों में शामिल हुए। इसी के साथ लोग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और विपक्षी नेताओं द्वारा आयोजित रैलियों में भी शामिल हुए।

खबर के मुताबिक, नए वैरिएंट की चेतावनी Indian SARS-CoV-2 जेनेटिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) द्वारा दी गई थी।

ये जानकारी एक बड़े अधिकारी को दी गई थी जो सीधा प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। प्रधानमत्री के ऑफिस ने को इस खबर पर रॉयटर्स को किसी तरह का जवाब नहीं दिया है।

‘रॉयटर्स’ के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के 2014 में पदभार संभालने के बाद से कोरोना महामारी भारत पर सबसे बड़ा संकट है। सरकार द्वारा इस संकट को हैंडल करने के तरीके का मोदी या उनकी पार्टी पर राजनैतिक असर पड़ सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here