सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि समाज के बुद्धिजीवियों का फ़र्ज़ बनता है कि वो सरकार के झूठ का पर्दाफाश करें।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बात 28 अगस्त को ‘नागरिकों के सत्ता से सच बोलने का अधिकार’ विषय पर एक ऑनलाइन लेक्चर में बोली।
उन्होनें कहा कि एक लोकतंत्र में राज्य राजनीतिक कारणों की वजह से झूठ नहीं बोल सकते हैं। उनका कहना है कि सच्चाई के लिए केवल राज्य पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
इसी कारणवश समाज के प्रबुद्ध लोगों की ज़िम्मेदारी है कि वो उनका झूठ उजागर करें।
एनडीटीवी की ख़बर के अनुसार जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘एकदलीय सरकारें सत्ता को मजबूत करने के लिए झूठ पर निरंतर निर्भरता के लिए जानी जाती हैं।”
लेक्चर के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बात का भी ज़िकर किया कि कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में कोविड डाटा के साथ हेरफेर की गई।
आपको बता दें कि भारत में भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला था। NDTV की खबर के अनुसार, 18 से 24 अप्रैल के बीच ही दिल्ली में कोरोना के कारण हुई 1,158 मौतों को सरकारी आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया था।
दिल्ली नगर निगम के 26 श्मशान घाटों में इस अवधि के अंदर 3,096 कोरोना से मरे मरीज़ों का अंतिम संस्कार किया गया।
जून महीने में दैनिक भास्कर ने अपने रिपोर्ट में बताया था कि बिहार सरकार ने 3951 मौतें छुपाने की कोशिश की है।
उस समय नीतीश सरकार ने पहले कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 5424 बताई थी लेकिन बढ़ते दबाव के चलते सरकार ने स्वीकार किया कि वो आंकड़े सही नहीं थे। बिहार में कोरोना से तब 5424 नहीं बल्कि 9375 लोगों की मौत हुई थी।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने लेक्चर के दौरान यह भी कहा कि आजकल फेक न्यूज का चलन बढ़ता ही जा रहा है।
उन्होनें कहा, “ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर झूठ का बोलबाला है. सच्चाई के बारे में लोगों का चिंतित न होना, सत्य के बाद की दुनिया में एक और घटना है।”