देश में अभी एनआरसी और नागरिकता कानून का विरोध थमा भी नहीं है, की आज मोदी सरकार ने एनआरपी का नया शिगूफ़ा छेड़ दिया है। दरअसल मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को अपडेट करने की मंज़ूरी दे दिया। जिसके लिए सरकार ने एनपीआर के लिए 3941 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दिया है।
अभी एनआरसी और सीएए को लेकर बवाल मचा ही हुआ है कि केंद्र की सरकार लोगों को फिर से एनआरपी में उलझा दिया है। जिसे लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने कह दिया है वह अपने यहां एनआरसी और एनआरपी दोनों लागू नहीं करेंगे। वहीं सरकार के इस नए स्किम जिसके लिए इतना पैसा आवंटन किया गया।
उसको लेकर जेएनयू के पूर्व छात्र अध्यक्ष और बेगुसराय से लोकसभा चुनाव लड़ चुके कन्हैया कुमार ने कहा- ”NRC और NPR में उतना ही फ़र्क़ है जितना गंगाधर और शक्तिमान में”।
NRC और NPR में उतना ही फ़र्क़ है जितना गंगाधर और शक्तिमान में।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) December 24, 2019
दरअसल एनआरपी पर लोगों द्वारा सवाल पूछने पर सरकार का कहना है कि एनपीआर के लिए किसी तरह के कागजात या सबूत नहीं मांगे जायेंगे। सरकार का कहना है की एनपीआर में आम आदमी जो सूचना देंगे, उसके आधार पर जानकारियां एकत्रित की जाएंगी, कोई दस्तावेज़ नहीं मांगा जाएगा।
सरकार ने कहा, एनपीआर हर दस साल में होने वाली जनगणना का हिस्सा है। देश के सभी निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना एनपीआर का मुख्य उद्देश्य है।
वहीं इसके बाद मोदी सरकार पर यह आरोप लग रहे हैं की एनआरसी सीएए और एनआरपी के चक्कर में मोदी सरकार देश के लोगों का ध्यान जरूरी मसलों से भटका रही है।