बलात्कारी राम रहीम पैरोल पर जेल से बाहर आने की तैयारी कर रहा है। उसे बाहर लाने में मदद राज्य की खट्टर सरकार कर रही है। सरकार और बाबा की इस जल्दबाज़ी का कारण सिर्फ एक है वो है हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव। हरियाणा में राम रहीम अनुयायियों की संख्या लाखों में है, ऐसे में फायदा सीधे खट्टर सरकार को मिल सकता है।

दरअसल बलात्कार और पत्रकार की हत्या का दोषी गुरमीत राम रहीम 20 साल की सजा भुगत रहा है। ऐसे में उसने बीच का रास्ता अपनाते हुए पैरोल की अर्जी दी है जोकि नियमों के खिलाफ भी है। नियमों के मुताबिक दो साल की सजा पूरी होने के बाद ही पैरोल दी जा सकती है।

मगर फिर भी जेल प्रशासन ने अवधि पूरी होने से पहले ही पैरोल के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। ऐसा यू ही नहीं हुआ इसके पीछे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, जेल मंत्री कृष्ण पवार और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने खुद गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने की पैरवी की है।

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राम रहीम ने खेतीबाड़ी के लिए पैरोल मांगी है, लेकिन उसके पास कोई कृषि भूमि ही नहीं है। सारी भूमि डेरा सच्चा सौदा ट्रस्ट के नाम है। हालांकि जेल अधिकारियों को नहीं लगता कि राम रहीम का आपराधिक रिकॉर्ड कुछ ज्यादा खराब है। तभी तो राम रहीम की पेरोल पर राय मांगने के लिए सिरसा उपायुक्त को दो पत्र लिखा है।

इस मामले पर कवि कुमार विश्वास ने सोशल मीडिया पर लिखा, हत्या-बलात्कार के आरोप में न्यायालय द्वारा सिद्ध मुजरिम राम-रहीम “खेती” करने के लिए सरकारी-अनुमति पा कर जेल से बाहर आना चाहता है ! सही बात है, चार महीने बाद चुनाव है वो “खेती” नहीं करेगा तो राजनेता “फ़सल” कैसे काटेंगे?

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