8 और 9 जनवरी को केंद्रीय श्रमिकों संगठनों ने हड़ताल का ऐलान किया है। देशभर के कई हिस्सों में मज़दूर, कर्मचारी संगठन दो दिनों की हड़ताल पर हैं। कई केंद्रीय श्रमिक संगठन इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि, सरकार की एकतरफ़ा श्रम सुधार श्रमिक विरोधी नीतियों ख़िलाफ़ तक़रीबन 20 करोड़ लोग दो दिनों की हड़ताल में भाग ले रहे हैं।
हड़ताल में शामिल एटक की महासचिव अमरजीत कौर का कहना है कि, मोदी सरकार रोज़गार पैदा करने में नाकामयाब रही है। हमारी (श्रमिक संगठनों की) 12 सूत्रीय माँगो को भी सरकार ने नहीं माना। श्रम मामलों के लिए अरुण जेटली की अगुवाई बने मंत्रीसमूह ने 2 सितम्बर की हड़ताल के बाद श्रमिक संगठनों को चर्चा के लिए नहीं बुलाया। ऐसे में हड़ताल के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं था।
श्रमिकों की 12 मांगे क्या हैं-
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली सार्वभौमक हो, सट्टेबाज़ी पर रोक लगे और मूल्य वृद्धि पर क़ाबू पाया जाए
2. रोज़गार सृजन के मज़बूत उपाय हों, ताकि बेरोज़गारी दूर हो
3. सभी श्रम क़ानूनों को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए और उसके उल्लंघन पर कड़ी से कड़ी सज़ा हो
4. सभी कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित हो
5. मज़दूरों का न्यूनतन मासिक वेतन 18 हज़ार हो
6. सभी कामगारों वर्ग के लिए मासिक वेतन 3 हज़ार से ज़्यादा सुनिश्चित की जाए
7. केंद्रीय/राज्य PSUs रणनीतिक बिक्री में विनिवेश बंद हो
8. समान काम के लिए समान वेतन प्रणाली लागू हो
9. भुगतान, प्रोविडेंट फ़ंड और बोनस की पात्रता पर सभी गतिरोधों को हटाकर रास्ता आसान किया जाए
10. अप्लाई करने के 45 दिन के भीतर ट्रेड यूनियन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो और आईएलओ C-87, C-98 को तुरंत लागू किया जाए
11. सरकार श्रमिकों के हितों के क़ानूनों में संशोधन करना बंद करे
12. रक्षा, बीमा, और रेलवे में एफ़डीआई को न शामिल किया जाए