अभी कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मीडिया के एंकर्स की जमकर आलोचना की थी और कहा था कि एंकर्स नफ़रत फैला रहे हैं. भारतीय मीडिया में चलने वाली खबरें, प्राइम टाइम में धार्मिक उन्माद, विवाद, नफ़रत को परोसा जा रहा है असल मुद्दे मीडिया की बहसों से गायब हैं.

इसी मीडिया पर सवाल उठाया है 10 साल की जलवायु कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने. लिसिप्रिया ने ट्वीट करते हुए मीडिया पर निशाना साधा है.

लिसिप्रिया ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “भारतीय मीडिया बॉलीवुड की, राजनीति की और प्रोपेगेंडा की खबरें करने में लगी है. सेलिब्रेटीज़ क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कौन प्रेगनेंट है, उनकी इंस्टाग्राम स्टोरी क्या है. यही सब कवर कर रही है.

मगर इस वक्त की सबसे नाज़ुक मुद्दे क्लाइमेंट चेंज को इग्नोर किया जा रहा है. ये शर्मनाक है. क्लाइमेंट चेंज की खबर हर रोज़ पहले पेज पर छपनी चाहिए.”

लिसिप्रिया जलवायु परिवर्तन पर काम करती हैं, और इस विषय को लेकर चिंता जताती रहती हैं.

लिसिप्रिया के मुताबिक, अकेले भारत में लगभग 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है. और ये प्लास्टिक प्रदूषण पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और वायु प्रदूषण से भी जुड़ा है. वो लगातार इस बात पर ज़ोर देती हैं कि हमें पर्यावरण को ज़्यादा नुकसान से बचाने के लिए कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करना चाहिए.

कुछ महीने पहले ही लिसिप्रिया ने आगरा में ताजमहल के पीछे की यमुना किनारे की गंदगी दिखाकर नगर निगम की कलई खोल दी थी. हाथ में तख्ती लिए लिसिप्रिया ने ताजमहल के पीछे फोटो खिंचवाई थी और तख्ती के ज़लिए उन्होंने प्रदूषण को लेकर संदेश दिया था.

जिसमें लिखा था- ताजमहल की खूबसूरती के पीछे की खूबसूरती प्लास्टिक है. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, ताजमहल की खूबसूरती के पीछे शुक्रिया इंसानों.

कहने को ताजमहल के इलाके को प्लास्टिक फ्री घोषित किया जा चुका है लेकिन वहां की हक़ीकत इस बाल जलवायु कार्यकर्ता ने सबके सामने रख दी. लिसिप्रिया लगातार जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को लेकर सरकारों और लोगों को चेताती रहती हैं.

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