“कालाधन ख़त्म तो आतंकवाद की कमर टूट जाएगी, भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाएगा, नकली नोट चलन से बाहर हो जाएंगे और देश तरक्की की एक नई राह पर होगा”

यही वादा करके 8 नंवबर 2016 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रात आठ बजे से नोटबंदी का ऐलान कर दिया.

आनन—फ़ानन में पूरा देश कतारों में खड़ा हो गया. नोटबंदी के समय केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि भ्रष्टाचारियों के पास जमा कम से कम 3-4 लाख करोड़ रुपए का कालाधन बाहर आ जाएगा. नोटबंदी की सारी कवायद से 1.3 लाख करोड़ कालाधन बाहर आया लेकिन नोटबंदी के समय जारी 500 और 2000 के नए नोटों में अब 9.21 लाख करोड़ रुपए गायब हैं.

दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है. दैनिक भास्कर की एक ख़ास रिपोर्ट में नोटबंदी और नए नोटों के गायब होने का पता चलता है.

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की 2016-17 से लेकर ताज़ा 2021-22 तक की एनुअल रिपोर्ट्स बताती हैं कि आरबीआई ने 2016 से लेकर अब तक 500 से 2000 के कुल 6,849 करोड़ करंसी नोट छापे थे. उनमें से 1,680 करोड़ से ज़्यादा करंसी नोट सर्कुलेशन से गायब हैं.

गायब हुए नोटों की वैल्यू 9.21 लाख करोड़ रुपए है. इन गायब नोटों में वो नोट शामिल नहीं हैं जिन्हें खराब हो जाने के बाद नष्ट कर दिया गया है.

कानूनन जिस रकम पर कोई टैक्स ना चुकाया गया हो, वो ब्लैक मनी मानी जाती है. अब इस 9.21 लाख करोड़ रुपए में लोगों की घरों में जमा सेविंग्स भी शामिल हो सकती हैं. लेकिन देशभर में पड़े छापों में जो ब्लैक मनी पकड़ी जा रही है उसमें से 95 प्रतिशत से ज़्यादा 500 और 2000 नोट थे.

भास्कर की रिपोर्ट में लिखा है कि आरबीआई के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर माना कि सर्कुलेशन से गायब पैसा भले ही आधिकारिक तौर पर ब्लैक मनी ना माना जाए लेकिन आशंका इसी की ज़्यादा है कि इस रकम का बड़ा हिस्सा ब्लैक मनी है.

सरकार भले ना माने कि ब्लैक मनी के तौर पर 500 या 2000 के नोट जमा किए जाते हैं लेकिन अधिकारी यही मानते हैं कि काला धन जमा करने में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल बड़े डिनॉमिनेशन के यानि की 500 और 2000 के नोटों का इस्तेमाल होता है.

और माना जा रहा है कि इसी वजह से 2019 से 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई है. लेकिन हक़ीकत ये है कि 500 के नए नोटों की छपाई 2016 के मुकाबले 76 प्रतिशत बढ़ गई है.

एक्सपर्ट मानते हैं कि घरों में इस तरह जमा कैश काले धन का 2-3 प्रतिशत ही होता है. स्विस बैंक में जमा भारतीयों के काले धन पर 2018 की रिपोर्ट इस बात की आशंका बढ़ा देती है कि सर्कुलेशन से गायब 9.21 लाख करोड़ की राशि ब्लैक मनी ही हो.

इस रिपोर्ट के मुताबिक स्विस बैंक में भारतीयों का काला धन 300 लाख करोड़ है, जो इस राशि का 3 प्रतिशत 9 लाख करोड़ ही होता है.

दावा किया जा रहा था कि नए डिज़ाइन के नोटों की जाली करंसी बनना मुमकिन नहीं है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

जिस साल नए डिजाइन के नोट जारी हुई उसी साल जाली नोट भी मार्केट में आ गए. 2016 में ही 2000 के 638 और 500 के 1999 जाली नोट आरबीआई को मिले. 6 सालों में 2000 के 79836 और 500 के 1.81 लाख जाली नोट मिले हैं.

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