BJP के संस्थापकों में से एक और पार्टी को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में कभी सारथी की भूमिका में रहे लालकृष्ण आडवाणी(LK Advani) ने महीनों बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है।

चुप्पी तोड़ते ही आडवाणी ने सीधे मोदी के राष्ट्रवाद पर हमला बोला है। हालांकि उन्होंने अपने लेख में मोदी का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उन्होंने जिन विचारों को जनता के सामने रखा है वह वर्तमान मोदी के बीजेपी से एकदम मेल नहीं खा रही है।

उन्होंने कहा है कि पार्टी का उद्देश्य हमेशा देश पहले रहा है। बाद में पार्टी और फिर बाद में व्यक्तिगत हित रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही भारतीय लोकतंत्र का सार है।

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BJP की स्थापना के समय पार्टी की ऐसी कोई विचारधारा नहीं थी कि जो बीजेपी से सहमत नहीं है वह हमारा दुश्मन है। आडवाणी के इन विचारों से आप देख सकते हैं को मोदी की बीजेपी और आडवाणी के समय की बीजेपी में कितना अंतर है।

आडवाणी के इस ब्लॉग पर पत्रकार साक्षी जोशी ने ट्विटर पर लिखा- लगता है आडवाणी जी भी आज से ‘देश’ द्रोही हो गए।

आपको बताते चलें कि लालकृष्ण आडवाणी मोदी के इतने अंध समर्थक रहे कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाने के सभी प्रयासों को उन्होंने विफल कर दिया था।

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मोदी हटाने के लिए गोवा में आयोजित बैठक में वाजपेयी का ऐसा विरोध हुआ कि मोदी को सीएम पद से हटाने के मामले में वाजपेयी बीजेपी में पूरी तरह से अकेले पड़ गए थे। लेकिन फिर वक्त ने ऐसा करवट लिया कि पीएम पद के दावेदारी के लिए मोदी और आडवानी में छिंड़ी जंग आडवानी को अर्स से फर्स पर ला पटका

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