मोदी सरकार ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के 77 नव निर्वाचित विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा देने का फैसला लिया है। राज्य में चुनाव के बाद होने वाली कथित हिंसा के बाद ये निर्णय लिया गया है। हालाँकि, इसकी वजह से सरकार की जमकर आलोचना भी हो रही है।

मोदी सरकार कोरोना महामारी के बीच जनता के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और वैक्सीन की ज़रूरत अनुसार व्यवस्था नहीं हो पाई। लेकिन अब भाजपा विधायकों की सुरक्षा के लिए उसी जनता का पैसा इस्तेमाल किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल के सभी नवनिर्वाचित 77 भाजपा विधायकों के लिए सीआईएसएफ (CISF) और सीआरपीएफ (CRPF) के सुरक्षा कवर की मंज़ूरी दे दी है।

इनमें से 61 विधायकों को ‘एक्स’ (X) श्रेणी की सुरक्षा दी गई है और दूसरों को ‘वाई’ ( Y ) श्रेणी की सुरक्षी दी गई है। नेता प्रतिपक्ष सुवेन्दु अधकारी को सीआईएसएफ की ‘जेड’ (Z) श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

कांग्रेस नेता श्रीवत्स ने सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने आधिकारिक अकाउंट पर ट्वीट कर लिखा,

मोदी सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल के सभी 77 भाजपा विधायकों को X, Y, Z सुरक्षा कवर दिया जाएगा। इसके लिए हर साल करदाताओं के सैकड़ों करोड़ पैसे लगेंगे।

मोदी मुफ्त की वैक्सीन नहीं दे सकते, लेकिन उनके पास कंगना और भाजपा विधायकों जैसे आमिर लोगों की सुरक्षा पर खर्चने के लिए पैसे हैं। प्राथमिकताएं!”

टीएमसी संसद महुआ मोइत्रा ने भी तंज कसते हुए लिखा, “मेरे पास बाप है।”

विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 77 सीटें जीतकर भाजपा राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी है। राज्य में ममता बनर्जी की अगुवाई में टीएमसी ने सरकार बनाई है।

देशभर में वैक्सीन की कमी है। अठारह से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान कबका शुरू हो चुका है, लेकिन सरकारी पोर्टल पर लोगों को टिका लगवाने के लिए तारीख नहीं मिल पा रही है।

इसी तरह ऑक्सीजन की कमी की वजह से भी बहुत से लोगों की अप्रैल महीने में जान चली गई।

ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा अपने ख़ास लोगों के लिए जनता का पैसा खर्चना, और जनता को ही स्वास्थ्य सुविधाएं न दे पाना बहुत सारे सवाल खड़े करता है।

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