बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई में केंद्र सरकार की सहमति देश की न्याय व्यवस्था और सत्ताधारियों के चरित्र पर बड़े सवाल खड़े करती है।
इतना ही नहीं, इस मामले में और भी चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिहाई से पहले 11 अपराधी 1,000 से अधिक दिन तक जेल से बाहर रहे थे।
यही नहीं, अदालत के दस्तावेज़ों के अनुसार जब बिलकिस बानो के बलात्कारी पैरोल पर थे, तब उनपर यौन उत्पीड़न और गवाहों को धमकाने के भी आरोप लगे थे।
इतने संगीन आरोप लगने के बाद भी अपराधियों की रिहाई पर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण लिखते हैं, “बलात्कार, हत्या, महिलाओं का उत्पीड़न करना निश्चित रूप से गुजरात और केंद्र सरकार की नजर में “अच्छा व्यवहार” है!
दरअसल, गुजरात सरकार ने 11 आरोपियों की रिहाई को सही ठहराते हुए कहा था कि उनका ‘व्यवहार अच्छा’ था और इसमें केंद्र सरकार की भी मंज़ूरी थी। इनमें से एक अपराधी, मितेश चिमनलाल भट्ट जून 2020 में पैरोल पर बहार था।
आरोप है कि तब उसने एक महिला का यौन उत्पीड़न किया तब। ये केस अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
बिलकिस और उनके परिवार के लिए न्याय की मांग उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा लिखती हैं, “नरेंद्र मोदी, अमित शाह और प्रल्हाद जोशी “अच्छे व्यवहार” का मतलब बताएं। बिलकिस बानो मामले में दोषी मितेश भट्ट ने 2020 में पैरोल के समय एक महिला से छेड़छाड़ की,
मुकदमा लंबित है। यह आदमी भी आपके द्वारा रिहा किया गया। अच्छे दिन, अच्छे लोग। बेटी को मोलेस्ट करना भी आपके लिए ‘अच्छा व्यवहार’ है?”
Asking @narendramodi @AmitShah & @JoshiPralhad to define “good behaviour”. Bilkis convict Mitesh Bhatt molested woman while on parole in 2020, trial pending u/354 IPC. This man too released by you.
Achhe Din. Acche Log. Beti ko molest karna bhi apka liye “good behaviour” ?
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 19, 2022