एक तरफ भारत में बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई पर सवाल उठ रहे हैं, तो दूसरी तरफ मुंबई में संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेज महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर रोक लगाने को सरकार का पहला कर्तव्य बता रहे हैं।
दरअसल, गुटेरेस तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं। इसी कड़ी में उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) बॉम्बे के छात्र-छात्राओं को संबोधित किया।
गुटेरेस ने कहा, “महिलाओं के खिलाफ अपराध कैंसर की तरह है-इसका जल्द से जल्द इलाज़ होना चाहिए। हर एक देश के पास इससे लड़ने का इमरजेंसी प्लान होना चाहिए।”
#WATCH | Every country should have emergency plan to fight violence against women… big cancer of violence against women needs to be an emergency priority: UN Secretary-General António Guterres at IIT Bombay, in Mumbai pic.twitter.com/6MYlYCtzuF
— ANI (@ANI) October 19, 2022
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव का ये बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इसकी प्रासंगिकता तब और बढ़ जाती है जब देश में बलात्कारियों और हत्यारों को खुद सरकार ‘अच्छे आचरण’ के बहाने रिहा करती है।
दरअसल, बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई में केंद्र सरकार की सहमति देश की न्याय व्यवस्था और सत्ताधारियों के चरित्र पर बड़े सवाल खड़े करती है।
इस मामले में और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिहाई से पहले 11 अपराधी 1,000 से अधिक दिन तक जेल से बाहर रहे थे।
अदालत के दस्तावेज़ों के अनुसार जब बिलकिस बानो के बलात्कारी पैरोल पर थे, तब उनपर यौन उत्पीड़न और गवाहों को धमकाने के भी आरोप लगे थे। इनमें से एक अपराधी, मितेश चिमनलाल भट्ट जून 2020 में पैरोल पर बहार था।
आरोप है कि तब उसने एक महिला का यौन उत्पीड़न किया। ये केस अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
इतने संगीन अपराधों के बाद भी केंद्र सरकार की सहमति से गुजरात सरकार ने इन्हें रिहा कर दिया था।
गुटेरेज महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बोल रहे हैं, लेकिन शायद इस बात से अनजान है कि जिस देश में बोल रहे हैं उस देश के गृह मंत्री खुद बलात्कारियों को रिहा करवा रहे हैं।