कोरोना महामारी ने एक बात तो साबित कर दिया है कि हमारा देश भगवान भरोसे चल रहा है। इस विकट परिस्थिति में भी विधायिका और कार्यापालिका के साथ ही न्यायपालिका का रवैया भी नागरिकों को परेशान करने वाला है।

आज जबकि पूरा देश ऑक्सीजन की कमी से त्राहिमाम कर रहा है। सरकार ने एक तरह से हाथ खड़े कर दिए है।

जब लोग थक हार कर कोर्ट की शरण में जाते हैं तो कोर्ट मामले की सुनवाई को अगले सप्ताह के लिए टाल देता है।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा में इस मुद्दे पर बेहद निराशाजनक भाव में ट्वीट करते हुए लिखा है कि “ऑक्सीजन की जरुरत है, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले सप्ताह होगी. नागरिक. ये टीवी एंकर के बेल की सुनवाई नहीं है”

तृणमलू सांसद ने बिना नाम लिए अर्णब गोस्वामी मामले का उदाहरण देते हुए देश की न्यायपालिका पर तंज कसा है।

आपको याद होगा कि कैसे रिपब्लिक टीवी के विवादित पत्रकार अर्णब गोस्वामी को बेल देने के लिए हर दो दिन पर तारीखें दी जाती थी।

इस तरह से तारीखेें दी जाती थी कि जल्द से जल्द अर्णब जेल से बाहर आ सके लेकिन जब बात देश के आम नागरिकों की जिंदगी बचाने की है, उन्हें ऑक्सीजन देने की है।

सुप्रीम कोर्ट में अब सुनवाई अगले सप्ताह होगी. क्या लोगों की सांसे अगले सप्ताह तक कोर्ट के सुनवाई के इंतजार में रुकी रहेंगी?

वहीं यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने ट्वीटर पर लिखा है कि डियर इंडियंस, अपनी सांसों को पकड़ कर रखो. सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन की याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह करेगा।

मालूम हो कि पूरे देश भर में ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से त्राहिमाम जैसी स्थिति है। स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से जिस तरह से लोगों की मौतें हो रही है, वैसे में राष्ट्रीय आपातकाल जैसी स्थिति देश में बन गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन समेत देश में कोरोना से लड़ने के विषय पर सुनवाई के लिए आज की तारीख मुकर्रर कर रखी थी लेकिन अब इस मुद्दे पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

आखिर कोरोना को कोर्ट ने इतना हल्का विषय कैसे समझ लिया? कई ऐसे मामले आए हैं जब देश ने आधी रात को कोर्ट को खुलते, सुनवाई होतेे ओर फैसला लेते देखा है।

लेकिन जब सवाल लोगों की जिंदगियों का है, हजारों लोगों ने अब तक ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया है और कई लोग अब भी ऑक्सीजन के अभाव में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं, वैसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई को टाल देना बेहद चिंताजनक मामला है।

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