नोटबंदी के दो साल पूरे होने के मौके पर जहां केंद्र की मोदी सरकार इसकी उपलब्धियां गिनाती नज़र आ रही है, वहीं विपक्ष इस दिन को काला दिवस के रूप में मना रहा है।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोटबंदी के दिन को ‘काला दिवस’ करार दिया है।
ममता ने ट्वीट कर कहा, ‘आज नोटबंदी आपदा की दूसरी सालगिरह है। पहले इसकी घोषणा के वक्त ही इसे आपदा कहा था। मशहूर अर्थशास्त्री, आम लोग और जानकार सब मेरी बात से अब सहमत हैं’।
#DarkDay Today is the second anniversary of #DeMonetisation disaster. From the moment it was announced I said so. Renowned economists, common people and all experts now all agree.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 8, 2018
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘सरकार ने नोटबंदी जैसा बड़ा घोटाला कर देश के लोगों को धोखा दिया है। इसने अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी। जिन लोगों ने नोटबंदी की, लोग उन्हें ज़रूर सज़ा देंगे’।
#DarkDay The government cheated our nation with this big #DeMonetisation scam. It ruined the economy and the lives of millions. People will punish those who did this
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 8, 2018
आज से ठीक दो साल पहले 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसके बाद देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे। पुराने नोटों को बैंकों में जल्द से जल्द जमा कराने का फरमान था। जिसके चलते बैंको में लोगों की लंबी कतारें लगानी पड़ी थीं। इस दौरान कतारों में खड़े सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।
सरकार का कहना था कि देश में मौजूद काले धन और नकली मुद्रा की समस्या को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन जब रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने नोटबंदी को लेकर आंकड़े जारी किए तो पता चला कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से नाकाम रहा।
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हालांकि मोदी सरकार अभी भी नोटबंदी को उपलब्धि ही बता रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग के ज़रिए कहा कि सरकार के इस फैसले से 2 साल में काले धन में कमी आई है। साथ ही पिछले दो साल में इनकम टैक्स रिटर्न्स में भी बढ़ोतरी देखी गई है।
उन्होंने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि नोटबंदी की एक फालतू आलोचना यह होती है कि करीब-करीब पूरा कैश बैंकों में जमा हो गया। नोटबंदी का मकसद नोट जब्त करना नहीं था। इसका बड़ा लक्ष्य नोटों को फॉर्मल इकॉनमी में लाना और इसे रखने वालों से टैक्स वसूलना था।
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बता दें कि विपक्ष यह सवाल उठाता रहा है कि जब पूरा कैश बैंक में जमा हो गया तो फिर जिस काले धन की बात मोदी सरकार कर रही थी वह कहां गया? इसके साथ ही विपक्ष का यह आरोप भी रहा है कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है और इससे नौजवानों के सामने रोज़गार की समस्या खड़ी हो गई।
विपक्ष का दावा है कि नोटबंदी से तकरीबन 15 लोख लोगों की नौकरी गई। नोटबंदी का छोटे और मंझोले धंधों पर बुरा प्रभाव पड़ा, जिससे लाखों लोगों की ज़िंदगी बर्बाद हो गई।