उत्तराखंड क्रिकेट संघ ने भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफ़र पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राज्य की टीम के कोच के रूप में टीम में मज़हब के आधार पर चयन की कोशिश की। अब वसीम जाफ़र ने अपने ऊपर लगाए गए इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

जाफर ने कहा कि उत्तराखंड क्रिकेट संघ के सचिव माहिम वर्मा के मज़हब के आधार पर पक्षपात करने के आरोपों से उन्हें काफी तकलीफ पहुंची है।

जाफर ने चयन में दखल और चयनकर्ताओं तथा संघ के सचिव के पक्षपातपूर्ण रवैये को लेकर मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था। जाफर को जून 2020 में उत्तराखंड का कोच बनाया गया था। उन्होंने एक साल का करार किया था। जाफर रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं।

जाफर ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जो कम्युनल एंगल लगाया, वह बहुत दुखद है। उन्होंने आरोप लगाया कि मैं इकबाल अब्दुल्ला का समर्थन करता हूं और उसे कप्तान बनाना चाहता था जो सरासर गलत है”।

उन्होंने कहा, “मैं जय बिस्टा को कप्तान बनाने वाला था। लेकिन रिज़वान शमशाद और अन्य चयनकर्ताओं ने मुझे सुझाव दिया कि इकबाल को कप्तान बनाएं। वह सीनियर खिलाड़ी हैं, आईपीएल खेल चुके हैं और उम्र में भी बड़े हैं। मैंने उनका सुझाव मान लिया”।

जाफर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर ट्विटर पर भी स्पष्टीकरण दिया है। जिसके बाद भारतीय टीम के कई पूर्व और मौजूदा खिलाड़ी उनके समर्थन में आ गए हैं।

भारत के पूर्व स्पिन गेंदबाज व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की क्रिकेट समिति के प्रमुख अनिल कुंबले ने जाफर का समर्थन करते हुए ट्वीट कर लिखा, “आपके साथ हूं वसीम। आपने सही किया। दुर्भाग्यशाली खिलाड़ी हैं, जिन्हें आपके मेंटर नहीं होने की कमी खलेगी”।

वहीं भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ इरफान पठान ने ट्वीट कर कहा, “दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको यह समझाना पड़ा”।

भारत के बल्लेबाज़ मनोज तिवारी ने ट्वीट कर लिखा, “मेरी उत्तराखंड के बीजेपी चीफ मिनिस्टर श्रीमान त्रिवेंद्र सिंह रावत से अपील है कि वह तुरंत हस्तक्षेप करें और इस मामले का संज्ञान लेकर जरूरी एक्शन लें जिसमें हमारे राष्ट्रीय हीरो वसीम भाई को क्रिकेट असोसिएशन द्वारा सांप्रदायिक बताया गया। ये उदाहरण तय करने का वक्त है”।

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